गर्मी के दिन है, पंक्षी प्यासे है ,
भटक रहे है इस डाल से उस डाल !
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
प्यास है मुझे सोहरत की ,
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
प्यास है मुझे नाम, मनमानी की ,
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
प्यास है मुझे घर, गाड़ी, साकी की ,
प्यास नहीं बुझेगी मेरी पानी से ,
पंक्षी पानी से प्यास बुझाते है !
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
सात समन्दर फिरने की प्यास !
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
लोगो को नीचा दिखने की प्यास !
इंसान हु मै, मेरी प्यास बड़ी है ,
दौड़ के भीड़ से आगे निकल जाने की प्यास !
गर्मी के दिन है, पंक्षी प्यासे है ,
भटक रहे है इस डाल से उस डाल !
- कमल उपाध्याय
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