Tuesday, 30 April 2013

Is 3rd front a good option?

All the News Channels are showing result of opinion of Mid Term poll. SP is coming on No.3 in all opinion polls after BJP & Congress. Mulaym is demanding enquiry committee on coal scam which involves name from Congress & BJP. Congress has made it clear that there won’t be any enquiry committee as CBI is probing matter. BJP is not allowing parliament to function till Congress won’t appoint Enquiry committee.



Congress and BJP both are gaining bad name in coal scam and People like Arvind Kejariwal is campaigning against Congress as well as BJP, chances are getting more stronger for 3rd front to win more seats in coming Lokshabha election of 2014. We all know that now ruling in center is not possible without support of states party specially States like UP which contributes almost 15% share in Lokshabha seats.



Is 3rd front a good option?



We have seen in recent years Shree Manmohan Singh Ji told us that “Coalition Government” is one of the biggest constraints in decision making and policy framing for growth economy. We also saw many of coalition partners crated hurdles for FDI & Subsidy in Congress as well as in BJP government.



We have seen that Congress is having so much of trouble in present situation though they have more than 200 seats in LokShabha so how it’ll be possible for 3rd front where biggest party won’t have more than 60seats. 3rd front won’t be able to take any decision as getting support of more than 200 MP from various parties and across India. So people who can’t see any development in NDA or UPA regime don’t expect too much from 3rd front.





Doing Kamaal,

Kamal Upadhyay

Chudail Ki Photo

23rd May, 2005




Banaras, Uttar Pardesh





Rajiv ko aaj ki
Mahangari train pakad kar vapas Mumbai Jana tha. Mahanagri Banaras
station se 11 baje chhutati hai aur easliye vo subha jaldi uath gaya.
Rajiv ke ghar se Banras station ki duri 94 kilometer thee. Rajiv ke ghar
se GT Road 5 kilometer tha aur phir GT Road se sidhe bas pakad kar
Banaras station pahuchna tha.





Rajiv ka bachpan to
Mumbai me beeta tha par vo har saal garmiyo me chhutiya bitane gaon
aata tha. Gaon me usake ghar ke samne ek bada bargad ke ped tha aur log
use hamesh uas taraf jaane ko mana karate the. Gaon ke logo ka kahena
tha ki uas taraf ek chudail ka basera hai. Chudail ki pakad se
bachane ke liye gaon vale apne hatho me Tabiz bandhate the.





Rajiv ka bachpan
Jadu-Tone, Bhoot-Pret ki kahaniyo ke beech beeta tha. Easliye use
andhere se bahut dar lagta tha. Rajiv raat ko apne chaar payee se jyada
dur nahi jata tha usake man me andhere ka dar bana rahta tha. Rajiv ne
kabhi Bhoot-Pret dekha nahi tha aur uan par bishwas bhi nahi karta tha.
Easliye vo tabiz nahi pahenta tha. Gaonwale use hamesh Tabiz pahenane ke
liye kahate the.





Train pakadane ke
liye Rajiv subha utha. Subha ke karib 3 baje the. Rajiv khet ki taraf
jane hee wala tha ki use laga ki ghar ke bagal me koi khada hai. Rajiv
ka Dil dhak se upar aa gaya. Dur se dekhane par use laga ki koi aurat khadi hai aur Rajiv ka man turant chudail ki taraf gaya. Rajiv
ne man hee man socha ki maine to tabiz bhi nahi pahna hai to agar mai
khet ki taraf gaya to chudail mujhe pakad legi.





Rajeev ke dimag me chudail ki photo banane lagi. Agar aap ne bachpan me baadalo se taseveer banayee hai to aap janate honge ki ek baar man jis chhez par ruk gaya har tasveer uas tarah hee banane lagati hai. Rajeev ka dimaga bhi alag alag chudailo ki photo apne dimag me banane laga.





Rajiv apnee jagah
par stabdh khada tha. Rajiv me na aage jane ki himmat thee aur na pichhe
aane ki himmat thee. Rajiv apani jagah par khada hokar Chudail ko dekh
raha tha. Karib 10 minute beet gaye the aur chudail apni jagah se hil
nahee rahee thee. Rajiv Ka dar ab dhire dhire kam ho raha tha ki achanak
se jor ki hawa chali aur Chudail kee saadi hawa me uadane lagi.





Hawa ke shant hote
hee sab kuchh phir tham gaya. Rajiv karib aadhe ghane se ek jagah khada
tha. Rajiv ne man hee man socha ki aaj mai eas Chudail se milke rahunga
aur tabhi usane
Chudail ki taraf kadam badhaye. Jaise Jaise Rajiv ke kadam
aage badh rahe the vaise vaise dar badhate hee jaa aha tha. Rajiv kuchh
kadam aage badh tha ki achanak se light aa gayee.





Gaon ki light
pichhale 15 din se kati thee. Gaonwalo ke liye andhere me rahena koi
badi baat nahi thee. Rajiv bhi kisi tarah andhere ka aadi ban gaya tha.
Rajiv andhere se darta tha eas liye raat ko jaldi so jata aur subha din
nikalne ke baad uath jaata tha. Aaj Train pakadni thee easliye use
andhere me uthna pada..





Light aate hee
Rajiv aapne aap par hasane laga.
Chudail ka dar usake man se dur ho gaya.
Kyonki jise vo
Chudail samajh raha tha vo Chudail nahi ek Mirchi ka ped tha
aur uaspar kisi ne saadi sukhane ke liye dala tha, jisase vo ped ek
taraf jhuk gaya tha aur Rajiv use
Chudail Samjh baitha.





Doing Kamaal,

Kamal Upadhyay

Monday, 29 April 2013

बच्चे की बदलती तस्वीर - I


सोनिया एक माल में काम करती थी और उसका 8
साल का बेटा तिसरी क्लास में पढता था। सोनिया की शादी बहुत ही कम उम्र में
हो गयी थी। शादी के एक साल बाद सोनिया का पति उसे छोड़ कर चला गया, उस
समय सोनिया गर्भवति थी। सोनिया के पति के जाने के चार महीने बाद संदूप का
जन्म हुआ। बचपन की किलकारियों से सोनिया का घर गुजने लगा जिसमे
चार महीने
से सोनिया किसी तरह अकेले जी रही थी।




सोनिया रोज़ सुबह संदूप को तैय्यार करती और उसे स्कूल छोड़ने के बाद खुद
काम पर चली जाती। माल में दिन भर थक-कर जब सोनिया घर आती तो संदूप को गले
लगाते ही उसकी सारी थकान दूर हो जाती थी। माँ - बेटे का रिश्ता बहुत ही
प्यार था। सोनिया संदूप को जान से ज्यादा प्यार करती थी। माँ बेटे के ईसी
प्यार के कारण सोनिया
ने अपनी दूसरी शादी नहीं की। 18 की उम्र में सोनिया को
बेटा पैदा हुआ और
अभी पूरी जिंदगी जीना बाकी था सोनिया के लिए।



सोनिया और संदूप ने मिलकर रविवार के दिन सिनेमा जाने का प्लान बनाया।
संदूप सिनेमा जाने के लिए बहुत खुश था। रविवार के दिन सुबह उठकर माँ और
बेटे तैयार हो गए। घर से बाहर निकलनेवाले ही थे की अचानक फ़ोन की घंटी बजी
"ट्रिंग ट्रिंग ---- ट्रींग ट्रींग" सोनिया ने फ़ोन उठाया और फिर ठीक है
बोलकर फ़ोन निचे रख दिया। सोनिया गंभीर हो गयी तो बेटे ने माँ के मन को
तुरंत भांप लिया। सोनिया ने कहा बेटा अचानक से कुछ जरूरी काम आ गया है तो
मुझे जाना होगा। सोनिया ने ख्याल रखना बोलकर दरवाज़ा बंद किया और काम पर चली
गयी।




सोनिया थककर शाम को जब घर आई तो घर पर सन्नाटा था। सोनिया को लगा की
शायद नाराज होकर संदूप सो गया है। सोनिया दौड़ते हुए संदूप के कमरे में गयी
परन्तु संदूप वहा नहीं था। सोनिया कुछ परेशान हुई और घर से दौड़ते बाहर आयी
और पड़ोस के घरो में जाकर उसे ढूंढ़ने लगी। संदूप
का कही अता-पता नहीं था।
सोनिया ने पुलिस को फ़ोन करके रिपोर्ट लिखाना चाही तो पुलिस ने साफ़ मन
करदिया। पुलिस के अनुसार लापता होने की रिपोर्ट आप 24 घंटे के बाद ही लिखा
सकते है।




रात कट गयी और सुबह सोनिया ने फिर से पुलिस को फ़ोन किया। 24घंटे से
जयादा समय बीत चूका था। पुलिस ने सोनिया के घर का पता नोट किया और कुछ ही
मिनटों में सोनिया के घर पहुँच गयी। सोनिया ने पुलिस को रविवार की सारी
घटना बतायी। पुलिस ने सोनिया से संदूप की फोटो मांगी और कद काठी का ब्यौरा
लेकर चली गयी। सोनिया पुरे दिन घर के इस कमरे से उस कमरे में घूमकर रोती
रही। दिन जैसे
बितने का नाम ही नहीं ले रहा था।



अगले दिन सुबह फ़ोन की घंटी फिर बजी "ट्रिंग ट्रिंग ---- ट्रींग ट्रींग".
सोनिया ने दौड़कर फ़ोन उठाया और दुसरे तरफ से दरोगा साहब ने कहा आप पुलिस
स्टेशन आ जाओ और इतना
कह कर झट से फ़ोन रख दिया। सोनिया झट से तैय्यार होकर
पुलिस स्टेशन पहुच गयी। दरोगा साहब पुलिस स्टेशन में नहीं थे। सोनिया ने एक
हवलदार से संदूप के बारे में पूछा पर उसे कुछ भी नहीं पता था। सोनिया एक
कोने में बैठकर दरोगा साहब का इंतज़ार करने लगी।




दरोगा साहब की गाड़ी पुलिस स्टेशन के बाहर आकर रुकी। सोनिया झटपट अपने
जगह से उठी और दरोगा साहब की तरफ चल दी। दरोगा साहब ने सोनिया को आते देखा
तो थोडा गंभीर हो गए। सोनिया ने पूछा कुछ पता चला मेरे बेटे का, दरोगा साहब
शांत थे। सोनिया ने फिर पूछा कुछ पता चला मेरे बेटे का और इस बार दरोगा
साहब ने जवाब दिया हा। सोनिया ने कहा जल्दी से बताओ मेरा बेटा कहा है। मुझे
अपने बेटे से मिलना है। दरोगा साहब चुप खड़े थे।




दरोगा साहब ने सोनिया को गाड़ी की तरफ चलने के इशारा किया। सोनिया गाड़ी
में आकर पीछे की सीट पर बैठ गयी। दरोगा साहब गाड़ी में बैठे और गाड़ी चालू हो
गयी। गाड़ी में एक दम सन्नाटा था। ठंड कड़ाके की थी इसलिए रोड पर ज्यादा
भीड़-भाड़ नहीं थी। कुछ दस मिनट के बाद गाड़ी रुक गयी। दरोगा साहब ने सोनिया
को उतरने के लिए कहा। सोनिया जैसे ही बाहर आयी उसने देखा की वो एक हॉस्पिटल
के बाहर खड़ी थी। उसने दरोगा साहब से पूछा ठीक तो है ना मेरा बेटा।




दरोगा साहब सोनिया को लेकर शव कक्ष के यहाँ पहुचे। सोनिया ने शव कक्ष
के अन्दर जाने से इनकार कर दिया। दरोगा साहब ने सोनिया से कहा की हमें एक
लड़के की लाश बहुत ही बुरी हालत में मिली है। लाश की पहचान करना मुश्किल है
परन्तु उसके कपडे संदूप के कपड़ो से मिलते है जो उसने लापता होने की दिन
पहेने थे। लाश के गले में जो लॉकेट मिला उस में दिल के आकर पर S लिखा था।
जैसा की सोनिया के अनुसार संदूप के गले में था। सोनिया ने लाख समझाने पर भी
शिनाख्त नहीं की और घर चली गयी।



पुलिस ने संदूप का पंचनामा करके उसे मृत घोषित कर दिया और पुलिस ने इस
लापता केस को आपनी फाइल के अन्दर कही एक पन्ने पर दफ्न कर दिया।




Doing Kamaal,
Kamal Upadhyay




Keep reading will post part two very soon. 

Monday, 1 April 2013

काटजू - संजू - न्याय

काटजू जी सुना था काफी बढ़िया न्यायाधीश थे. परन्तु हाल में संजू बाबा के
मुद्दे में उनकी उंगली देखकर मेरा सारा भ्रम दूर हो गया। संजू के बचाव में
दी गयी उनकी दलील एक तरफ़ा थी, या फिर यूँ कहे मीडिया के पत्रकारीता क्लब के
अध्यक्ष बनने के बाद वो खुद भी मीडिया के दांव पैतरो में उस्ताद हो गए।
मीडिया का ध्यान अपनी और खीचने के लिए राखी सावंत की तरह उलजुलूल हरकते
करने लगे।




संजू की रिहाई का तर्क भी बडा निराला था, काटजू जी कहेते की संजू पिछले 20 साल से परेशान है और उनकी 20 साल की परेशानी को ध्यान में रखते हुए उनकी सजा माफ़
कर देनी चाहिए। इसका मतलब काटजू के तर्क से पिछले 20 साल से कोर्ट का
चक्कर लगाने वाले हर इंसान की सजा अगर 20 साल या उससे कम है तो कोर्ट को उन
सभी मुकदमो को ख़ारिज कर देना चाहिए। मेरा काटजू साहब से निवेदन है की वो कोर्ट से सभी मामलो को ख़ारिज करने के लिए याचिका दाखिल करे.




काटजू
का दूसरा तर्क और भी निराला था। काटजू के अनुसार सुनील दत्त जी ने हमारे
समाज को काफी कुछ दिया है और उनके कार्यो को ध्यान में रखते हुए संजू को
माफ़ कर देना चाहिए। तो अगर काटजू जी की मने तो सभी समाजसेवको के बच्चे अपने
घर में हथियार रख सकते है और उन्हें पुलिस से डरने की कोई जरूरत नहीं है
क्योंकि उनके माता पिता ने समाज के लिए काफी कुछ किया है।




हाल में
आयी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार काटजू सलमान खान और सैफ अली खान को सजा होने
पर उनके लिए भी याचिका दाखिल करने को तैय्यार है। परन्तु काटजू जी ये भूल
गए की सलमान खान और सैफ अली खान के पास काटजू जी से बढ़िया और बेहतरीन
वकीलों की सेना है और काटजू जी उनके सामने चाय में दूध कम पानी है। 




चलते चलते काटजू जी अगर आप इतने ही खाली बैठे है तो उन गरीबो का केस लड़े जिनके पास वकील को देने को पैसे नहीं है।



Doing Kamaal,

Kamal Upadhyay





ऊपर लिखी सभी घटनाएं और पात्र काल्पनिक है और उनका वास्तविक जीवन से मिलन मात्र एक संयोग माना जायेगा। वकीलों और जज के बारे में सही लिखो तो भी ये लाइन लास्ट में लिख दो नहीं तो पता चला की आप भी कोर्ट के चक्कर लगा रहे व्यंग लिखने के लिए।

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