सोनिया एक माल में काम करती थी और उसका 8
साल का बेटा तिसरी क्लास में पढता था। सोनिया की शादी बहुत ही कम उम्र में
हो गयी थी। शादी के एक साल बाद सोनिया का पति उसे छोड़ कर चला गया, उस
समय सोनिया गर्भवति थी। सोनिया के पति के जाने के चार महीने बाद संदूप का
जन्म हुआ। बचपन की किलकारियों से सोनिया का घर गुजने लगा जिसमे चार महीने
से सोनिया किसी तरह अकेले जी रही थी।
सोनिया रोज़ सुबह संदूप को तैय्यार करती और उसे स्कूल छोड़ने के बाद खुद
काम पर चली जाती। माल में दिन भर थक-कर जब सोनिया घर आती तो संदूप को गले
लगाते ही उसकी सारी थकान दूर हो जाती थी। माँ - बेटे का रिश्ता बहुत ही
प्यार था। सोनिया संदूप को जान से ज्यादा प्यार करती थी। माँ बेटे के ईसी
प्यार के कारण सोनिया ने अपनी दूसरी शादी नहीं की। 18 की उम्र में सोनिया को
बेटा पैदा हुआ और अभी पूरी जिंदगी जीना बाकी था सोनिया के लिए।
सोनिया और संदूप ने मिलकर रविवार के दिन सिनेमा जाने का प्लान बनाया।
संदूप सिनेमा जाने के लिए बहुत खुश था। रविवार के दिन सुबह उठकर माँ और
बेटे तैयार हो गए। घर से बाहर निकलनेवाले ही थे की अचानक फ़ोन की घंटी बजी
"ट्रिंग ट्रिंग ---- ट्रींग ट्रींग" सोनिया ने फ़ोन उठाया और फिर ठीक है
बोलकर फ़ोन निचे रख दिया। सोनिया गंभीर हो गयी तो बेटे ने माँ के मन को
तुरंत भांप लिया। सोनिया ने कहा बेटा अचानक से कुछ जरूरी काम आ गया है तो
मुझे जाना होगा। सोनिया ने ख्याल रखना बोलकर दरवाज़ा बंद किया और काम पर चली
गयी।
सोनिया थककर शाम को जब घर आई तो घर पर सन्नाटा था। सोनिया को लगा की
शायद नाराज होकर संदूप सो गया है। सोनिया दौड़ते हुए संदूप के कमरे में गयी
परन्तु संदूप वहा नहीं था। सोनिया कुछ परेशान हुई और घर से दौड़ते बाहर आयी
और पड़ोस के घरो में जाकर उसे ढूंढ़ने लगी। संदूप का कही अता-पता नहीं था।
सोनिया ने पुलिस को फ़ोन करके रिपोर्ट लिखाना चाही तो पुलिस ने साफ़ मन
करदिया। पुलिस के अनुसार लापता होने की रिपोर्ट आप 24 घंटे के बाद ही लिखा
सकते है।
रात कट गयी और सुबह सोनिया ने फिर से पुलिस को फ़ोन किया। 24घंटे से
जयादा समय बीत चूका था। पुलिस ने सोनिया के घर का पता नोट किया और कुछ ही
मिनटों में सोनिया के घर पहुँच गयी। सोनिया ने पुलिस को रविवार की सारी
घटना बतायी। पुलिस ने सोनिया से संदूप की फोटो मांगी और कद काठी का ब्यौरा
लेकर चली गयी। सोनिया पुरे दिन घर के इस कमरे से उस कमरे में घूमकर रोती
रही। दिन जैसे बितने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अगले दिन सुबह फ़ोन की घंटी फिर बजी "ट्रिंग ट्रिंग ---- ट्रींग ट्रींग".
सोनिया ने दौड़कर फ़ोन उठाया और दुसरे तरफ से दरोगा साहब ने कहा आप पुलिस
स्टेशन आ जाओ और इतना कह कर झट से फ़ोन रख दिया। सोनिया झट से तैय्यार होकर
पुलिस स्टेशन पहुच गयी। दरोगा साहब पुलिस स्टेशन में नहीं थे। सोनिया ने एक
हवलदार से संदूप के बारे में पूछा पर उसे कुछ भी नहीं पता था। सोनिया एक
कोने में बैठकर दरोगा साहब का इंतज़ार करने लगी।
दरोगा साहब की गाड़ी पुलिस स्टेशन के बाहर आकर रुकी। सोनिया झटपट अपने
जगह से उठी और दरोगा साहब की तरफ चल दी। दरोगा साहब ने सोनिया को आते देखा
तो थोडा गंभीर हो गए। सोनिया ने पूछा कुछ पता चला मेरे बेटे का, दरोगा साहब
शांत थे। सोनिया ने फिर पूछा कुछ पता चला मेरे बेटे का और इस बार दरोगा
साहब ने जवाब दिया हा। सोनिया ने कहा जल्दी से बताओ मेरा बेटा कहा है। मुझे
अपने बेटे से मिलना है। दरोगा साहब चुप खड़े थे।
दरोगा साहब ने सोनिया को गाड़ी की तरफ चलने के इशारा किया। सोनिया गाड़ी
में आकर पीछे की सीट पर बैठ गयी। दरोगा साहब गाड़ी में बैठे और गाड़ी चालू हो
गयी। गाड़ी में एक दम सन्नाटा था। ठंड कड़ाके की थी इसलिए रोड पर ज्यादा
भीड़-भाड़ नहीं थी। कुछ दस मिनट के बाद गाड़ी रुक गयी। दरोगा साहब ने सोनिया
को उतरने के लिए कहा। सोनिया जैसे ही बाहर आयी उसने देखा की वो एक हॉस्पिटल
के बाहर खड़ी थी। उसने दरोगा साहब से पूछा ठीक तो है ना मेरा बेटा।
दरोगा साहब सोनिया को लेकर शव कक्ष के यहाँ पहुचे। सोनिया ने शव कक्ष
के अन्दर जाने से इनकार कर दिया। दरोगा साहब ने सोनिया से कहा की हमें एक
लड़के की लाश बहुत ही बुरी हालत में मिली है। लाश की पहचान करना मुश्किल है
परन्तु उसके कपडे संदूप के कपड़ो से मिलते है जो उसने लापता होने की दिन
पहेने थे। लाश के गले में जो लॉकेट मिला उस में दिल के आकर पर S लिखा था।
जैसा की सोनिया के अनुसार संदूप के गले में था। सोनिया ने लाख समझाने पर भी शिनाख्त नहीं की और घर चली गयी।
पुलिस ने संदूप का पंचनामा करके उसे मृत घोषित कर दिया और पुलिस ने इस
लापता केस को आपनी फाइल के अन्दर कही एक पन्ने पर दफ्न कर दिया।
Doing Kamaal,
Kamal Upadhyay
Keep reading will post part two very soon.
No comments:
Post a Comment