Sunday 11 March 2012

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है



मगर धरती की बेचनी को बस बदल समझता है



में तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है



ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है



के मोह्हबत एक एहसासों की पावन सी कहानी है



कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है



यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आखों में आंसू है



जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है



समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता



ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता



मेरी चाहता को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले



जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता



भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा



हमारे दिल में कोई खवाब पल बैठा तो हंगामा



आभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोह्हबत का



मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा



- कुमार विश्वास

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