Monday 17 September 2012

सुयोधन या दुर्योधन


बहुत समय पहेले मैंने कही पढ़ा था की दुर्यौधन का नाम सुयोधन था परन्तु उसके
कर्मो के कारण लोग उसे दुर्योधन बुलाने लगे ! हम हमेशा दुर्योधन का नाम
आते ही मन मे घृणा भर लेते है परन्तु क्या दुर्योधन इतना पापी था जितना
पापी हम उसको समझाते है ! मै पुरे विश्वास के साथ कह सकता हु की बहुत ही कम
लोगो ने महाभारत का अध्ययन किया होगा, प्रायः लोगो ने टीवी पे प्रशारित
नाटको के जरिये सुयोधन के बारे मे अपनी मंशा बना ली, परन्तु यहाँ भूल गए की
प्रायः धारावाहिक दर्शक की रूचि के अनुसार पात्रो का गठन करते है !
 


दुर्योधन या सुयोधन ?
 


बड़ा

प्रश्न चिन्ह मेरे मन मे अचानक खड़ा हो गया ! मुझे पता है की आप के लिए
इसमे सोचने वाली कोई बड़ी बात नहीं है परन्तु हमारे संसार का निर्माण सभी
पात्रो को ध्यान मे रख कर हुआ ! स्वयं सृष्टी के निर्मता ने सुयोधन और
दुर्योधन दोनों का बनाया ! हर युग मे दुर्योधन ने जन्म लिया और फिर उसका वध
हुआ, दुर्योधन को बुराई का प्रतिक माना गया और उसके वध के बाद लोगो मे इस
बात का प्रचार किया गया की बुरे व्यक्ति का हस्र बुरा होता है !
 


दुर्योधन का जन्म जरूरी था ?
 


दुर्योधन
के वध से लोगो मे भगवान के प्रति आस्था बनी रही ! भगवान भी स्वयं यही
चाहते है की लोग उन्हें याद रखे ! यदि मनुष्य को सिर्फ आनंद मिलेगा तो
भगवान को याद नहीं करेगा इस लिए दुर्योधन का जन्म हर युग मे जरूरी है ! लोग
कष्ट मे रहेंगे तो भगवान को याद करेंगे और उनमे सही और गलत का डर बना
रहेगा ! अब आप जब कभी दुर्योधन के बारे मे सोचे तो याद रखना वो तो मात्र एक
कटपुतली था और उसका भाग्य तो स्वयं भगवान ने निर्धारित किया था !
 


Doing कमाल,
कमल उपाध्याय

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