Sunday 23 September 2012

पेट्रोल, डीसेल और एलपीजी


राजनीति का सबसे पहेला सबक विपक्षी दल जो
भी करे उसका विरोध करो यदि आप विरोध नहीं करोगे तो आपमे और आपके विपक्षी दल
मे क्या अंतर रह जाएगा ! मुझे आज भी याद है एनडीए  के शासन कल मे जब
पेट्रोल, डीसेल और एलपीजी के भाव मे बढ़ोतरी हुई उस समय सोनिया गाँधी ने
उसका विरोध किया था ! सोनिया गाँधी भाव बढ़ोतरी के खिलाप बड़ी बड़ी रैली कर
रही थी और दूसरी तरफ बीजेपी बढ़ोतरी को आर्थिक मजबूरी बताकर उसे जरूरी
ठहरा रही थी !

जल मे गाड़ी नाव पर थल गाड़ी पर नाव !

समय बदला
और समय के साथ साथ बीजेपी और कांग्रेस के पक्ष भी बदल गए ! कांग्रेस सर्कार
मे आ गयी और बीजेपी विपक्ष मे चली गयी ! अब कांग्रेस पेट्रोल, डीसेल और
एलपीजी के भाव बढाती है और बीजेपी उसके खिलाप रैली निकलती है !और दूसरी तरफ
कांग्रेस बढ़ोतरी को आर्थिक मजबूरी बताकर उसे जरूरी ठहरा रही है !
प्रधानमंत्री स्वयं आज कल बोलने लगे है उनके अनुसार "पैसे पेड़ पर नहीं
लगते है" पर वो भूल गए की पेड़ मरने के बाद जमीन मे दफन हो जाता है और कई
सालो के बाद उसका कोयला बन जाता है जिसे बंदरो की तरह लोग आपस मे बाँट लेते
है !

सरकारे बदलती रहेंगी परन्तु पेट्रोल, डीसेल और एलपीजी के भाव
बढ़ने का कारण हमेशा आर्थिक मजबूरी ही रहेगी ! और इसी आर्थिक मजबूरी के दम
पर हम विश्व की बड़ी शक्ति बनने का सपना देख रहे है !




Doing Kamaal,

कमल उपाध्याय

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