Kamal Upadhyay is an Indian blogger writing about Indian Politics, Current Affairs, Sports and other matters of Indian Interest. Satire on Indian Politics - A must read!
Friday, 26 October 2012
Saturday, 20 October 2012
वाड्रा का सच
चलो एक बार मान लेते है की वाड्रा के बारे में जो भी बातें सामने आयी है वो
सच नहीं है। वाड्रा को गाँधी परिवार से जुड़ने का मौका मिलने के बाद उनके
यहाँ स्वयं कुबेर ने घर बना लिया और हर एक व्यवहार में उन्हें सिर्फ और
सिर्फ लाभ मिला परन्तु गाँधी परिवार के रिश्ते का उनके व्यापार से कोई लेना
देना नहीं है। अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग अपना राजनितिक जीवन बनाने के लिए
वाड्रा का नाम इस्तेमाल कर रहे है। वाड्रा ने पिछले कुच्छ वर्षो में जो
भी मुनाफा कमाया वो अपनी सूझ-बुझ और लगन से कमाया। और अगर मेरी इन बातों को
आप मान चूके है तो फिर वाड्रा मीडिया में आकर सफाई देने से क्यों हिचक रहे
है।
चलो एक बार मान लेते है की वाड्रा के बारे में जो भी बातें
सामने आयी है वो
सच है। वाड्रा को गाँधी परिवार से जुड़ने का मौका मिलने के बाद उनके
यहाँ स्वयं कुबेर ने घर बना लिया और हर एक व्यवहार में उन्हें सिर्फ और
सिर्फ लाभ मिला क्योंकि हर एक व्यवहार सिर्फ लाभ के लिए किया गया। अरविन्द
केजरीवाल जैसे लोग सच की लड़ाई लड़ रहे है। वाड्रा ने पिछले कुच्छ वर्षो में
जो
भी मुनाफा कमाया वो सब उनके गाँधी परिवार के रिश्तो के कारण कमाया। और अगर
मेरी इन बातों को
आप मान चूके है तो फिर जाहिर सी बांत है की वाड्रा मीडिया में आकर सफाई
देने से क्यों हिचक रहे
है।
चलो एक बार ये भी मन लेते है की सरकार एक आयोग का गठन करके
वाड्रा मामले में जाँच बिठा देती है तो क्या सच को झूट और झूट को सच करने
में समय लगेगा। राजनीती में बड़े बड़े हेर-फेर कहाँ गुम हो गए पता नहीं तो फिर वाड्रा के सच के बारे में हम भूल जांए यही बढ़िया होगा।
Doing Kamaal,
Kamal Upadhyay
सच नहीं है। वाड्रा को गाँधी परिवार से जुड़ने का मौका मिलने के बाद उनके
यहाँ स्वयं कुबेर ने घर बना लिया और हर एक व्यवहार में उन्हें सिर्फ और
सिर्फ लाभ मिला परन्तु गाँधी परिवार के रिश्ते का उनके व्यापार से कोई लेना
देना नहीं है। अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग अपना राजनितिक जीवन बनाने के लिए
वाड्रा का नाम इस्तेमाल कर रहे है। वाड्रा ने पिछले कुच्छ वर्षो में जो
भी मुनाफा कमाया वो अपनी सूझ-बुझ और लगन से कमाया। और अगर मेरी इन बातों को
आप मान चूके है तो फिर वाड्रा मीडिया में आकर सफाई देने से क्यों हिचक रहे
है।
चलो एक बार मान लेते है की वाड्रा के बारे में जो भी बातें
सामने आयी है वो
सच है। वाड्रा को गाँधी परिवार से जुड़ने का मौका मिलने के बाद उनके
यहाँ स्वयं कुबेर ने घर बना लिया और हर एक व्यवहार में उन्हें सिर्फ और
सिर्फ लाभ मिला क्योंकि हर एक व्यवहार सिर्फ लाभ के लिए किया गया। अरविन्द
केजरीवाल जैसे लोग सच की लड़ाई लड़ रहे है। वाड्रा ने पिछले कुच्छ वर्षो में
जो
भी मुनाफा कमाया वो सब उनके गाँधी परिवार के रिश्तो के कारण कमाया। और अगर
मेरी इन बातों को
आप मान चूके है तो फिर जाहिर सी बांत है की वाड्रा मीडिया में आकर सफाई
देने से क्यों हिचक रहे
है।
चलो एक बार ये भी मन लेते है की सरकार एक आयोग का गठन करके
वाड्रा मामले में जाँच बिठा देती है तो क्या सच को झूट और झूट को सच करने
में समय लगेगा। राजनीती में बड़े बड़े हेर-फेर कहाँ गुम हो गए पता नहीं तो फिर वाड्रा के सच के बारे में हम भूल जांए यही बढ़िया होगा।
Doing Kamaal,
Kamal Upadhyay
Thursday, 18 October 2012
Chal Expose Karte Hai
Atkale vatakle aur ye post padh ke satk le. Aapnu Mumbai ka phanter Kamaal bole to aaj idhar expose ka baat karega. Expose bole to aapun heroine log ke chhote kapde ki baat nahi kar raha hai. Aapun aaj kal media mai chal rahele naye game show expose ki baat kar raha hai. Mereko malum hai eas game show ko chalana aur acting karna bahut he kathin hai par pure India ko ye Gameshow bahut pasand aa rahela hai.
Bole to Anna Hazare karke ek band hai jisane ae gameshow ka shuruvaat kiya. Anna Bhai kisi Janlokpal ke liye lad rahele the dilli mai aur phir jo media ne unko coverage diya aapun ye gameshow dekhkar hairan ho gaya. Aapnu se jaada to neta log hairan tha vo log ne kabhi socha bhi nahi the ki itana sara MANGO PEOPLE Anna ko support karne rod par aa jayega bhai Part -1 ke gameshow se to pura bharat hil gaya tha.
Aa rahela hu, Aa rahela hu, Chal Expose Karte Hai ke mudde par aa rahela hu. Anna ka baki ka Gameshow ko vo TRP nahi mila jo pahele game show ko mila tha to usake team ke ek member Arvind Bhai ne khud ka political party launch karne ka than liya usake baad to game show pura change ho gaya aur Chal Expose karate hai yaha se chalu hua.
Sabse pahela number laga Vadra ka. Bechara vadra ne to kabhi sapne me bhi nahi socha tha ki Gandhi family ka daamad hone ke baad bhi log usake upar pathar marega. Par Arvind bhai ne jo mari to pura media marane ke liye taiyaar ho gaya (mai pathar marane ki baat kar raha hu) Chal expose karate hai ka 1st part superhit ho gaya.
Bole to apne ko news aaya hai ki har 15din me ye log ek neta ko expose karega. Neta log abhi apne desh ko khud ka jagir samjhta hai. Abi expose hone ke baad to vo log ne kaisa aapas me pure bharat ko mil jul ke baant liya hai ye samane aa gaya lekin aage kya abhi ye log ko vantaas ki goli dega kaun. Aapun ka naam bhi eas baar voter list me aagayela hai aur aapun bhi eas baar neta log ko marega boleto pathar.
Doing Kamaal, Kamal Upadhyay
Bole to Anna Hazare karke ek band hai jisane ae gameshow ka shuruvaat kiya. Anna Bhai kisi Janlokpal ke liye lad rahele the dilli mai aur phir jo media ne unko coverage diya aapun ye gameshow dekhkar hairan ho gaya. Aapnu se jaada to neta log hairan tha vo log ne kabhi socha bhi nahi the ki itana sara MANGO PEOPLE Anna ko support karne rod par aa jayega bhai Part -1 ke gameshow se to pura bharat hil gaya tha.
Aa rahela hu, Aa rahela hu, Chal Expose Karte Hai ke mudde par aa rahela hu. Anna ka baki ka Gameshow ko vo TRP nahi mila jo pahele game show ko mila tha to usake team ke ek member Arvind Bhai ne khud ka political party launch karne ka than liya usake baad to game show pura change ho gaya aur Chal Expose karate hai yaha se chalu hua.
Sabse pahela number laga Vadra ka. Bechara vadra ne to kabhi sapne me bhi nahi socha tha ki Gandhi family ka daamad hone ke baad bhi log usake upar pathar marega. Par Arvind bhai ne jo mari to pura media marane ke liye taiyaar ho gaya (mai pathar marane ki baat kar raha hu) Chal expose karate hai ka 1st part superhit ho gaya.
Bole to apne ko news aaya hai ki har 15din me ye log ek neta ko expose karega. Neta log abhi apne desh ko khud ka jagir samjhta hai. Abi expose hone ke baad to vo log ne kaisa aapas me pure bharat ko mil jul ke baant liya hai ye samane aa gaya lekin aage kya abhi ye log ko vantaas ki goli dega kaun. Aapun ka naam bhi eas baar voter list me aagayela hai aur aapun bhi eas baar neta log ko marega boleto pathar.
Doing Kamaal, Kamal Upadhyay
Wednesday, 17 October 2012
वाड्रा - खुर्शीद - अरविन्द - बीजेपी
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अगुआ अरविन्द केजरीवाल के वाड्रा - डीएलऍफ़ खुलासे
के बाद एक तरफ जहाँ कांग्रेस के बड़े नेता गाँधी परिवार के दामाद के रक्षा
के लिए आ गए वही दूसरी तरफ खुर्शीद अपनी जंग अकेले ही लड़ रहे है और अब तो
कलम छोड़कर खून - खराबे की बात करने लगे है। वाड्रा खुलासे मे सबसे आश्चर्य
जनक बात ये लगी की वाड्रा जैसे आम आदमी के लिए कांग्रेस के आला नेता बचाव करने आ गए परन्तु खुर्शीद के मसाले में वही आला नेता दूर-दूर तक नदारद थे।
वाड्रा - डीएलऍफ़ मामले में सरकार कोई हरकत नहीं कर रही है। मामला घर का
है तो शायद ही कोई सरकारी विभाग इस मामले में कोई कदम उठाएगा और स्वयं
सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले में जांच के आदेश देने होंगे। वाड्रा को
लेकर इंडिया अगेंस्ट करप्शन और समाचार चैनेल दोनों ही बड़ी उत्सुकता से
खुलासे पर खुलासे कर रहे है पर हम सभी जानते 125करोड़ की इस आबादी वाले देश
में खबरों की कोई कमी नहीं है। वाड्रा मामले में कोई भी बड़ा कदम उठाना सरकारी तंत्र के लिए संभव नहीं है क्योंकि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।
खुर्शीद और उनके ट्रस्ट पे लगे आरोप सबके सामने है और उनके मानहानि के
दावे के बावजूद आजतक आपने खुलासे पर कायम है जाहिर सी बात है की आजतक ने भी
इतने बड़े नेता पर आरोप लगाने से पहेले अपना पूरा घरकाम किया होगा। खुर्शीद
के द्वारा समाचार चैनेलो को दिए गए सबूत भी लोग फर्जी बता रहे है। खुर्शीद
भारत के कानून मंत्री है तो उनपर भी किसी तरह की जांच करना मतलब स्वयं के
गले मे फांशी लगाने के समान है। इस मामले में भी स्वयं सर्वोच्च न्यायालय
को जांच के आदेश देने होंगे।
अरविन्द ने अचानक ही राजनीति की बिसाद में बहुत बड़े उथल पुथल कर दिए
है। वाड्रा पर लगाये गए आरोप जहाँ खुद को सत्य साबित करते है वही दूसरी तरफ
इस बात में कोई दो राय नहीं है की अगले चुनाव में भ्रष्टाचार बहुत ही अहम्
मुद्दा होगा। अरविन्द के गडकरी के ऊपर लगाये गए आरोपों से ये साफ साबित
होता है की अरविन्द न तो संघ और नाही बीजेपी के मुखौटे है। अरविन्द,
कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहे घमाशान में आम आदमी किस तरह जीतेगा ये
देखना बड़ा ही रोचक होगा।
Doing Kamaal,
के बाद एक तरफ जहाँ कांग्रेस के बड़े नेता गाँधी परिवार के दामाद के रक्षा
के लिए आ गए वही दूसरी तरफ खुर्शीद अपनी जंग अकेले ही लड़ रहे है और अब तो
कलम छोड़कर खून - खराबे की बात करने लगे है। वाड्रा खुलासे मे सबसे आश्चर्य
जनक बात ये लगी की वाड्रा जैसे आम आदमी के लिए कांग्रेस के आला नेता बचाव करने आ गए परन्तु खुर्शीद के मसाले में वही आला नेता दूर-दूर तक नदारद थे।
वाड्रा - डीएलऍफ़ मामले में सरकार कोई हरकत नहीं कर रही है। मामला घर का
है तो शायद ही कोई सरकारी विभाग इस मामले में कोई कदम उठाएगा और स्वयं
सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले में जांच के आदेश देने होंगे। वाड्रा को
लेकर इंडिया अगेंस्ट करप्शन और समाचार चैनेल दोनों ही बड़ी उत्सुकता से
खुलासे पर खुलासे कर रहे है पर हम सभी जानते 125करोड़ की इस आबादी वाले देश
में खबरों की कोई कमी नहीं है। वाड्रा मामले में कोई भी बड़ा कदम उठाना सरकारी तंत्र के लिए संभव नहीं है क्योंकि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।
खुर्शीद और उनके ट्रस्ट पे लगे आरोप सबके सामने है और उनके मानहानि के
दावे के बावजूद आजतक आपने खुलासे पर कायम है जाहिर सी बात है की आजतक ने भी
इतने बड़े नेता पर आरोप लगाने से पहेले अपना पूरा घरकाम किया होगा। खुर्शीद
के द्वारा समाचार चैनेलो को दिए गए सबूत भी लोग फर्जी बता रहे है। खुर्शीद
भारत के कानून मंत्री है तो उनपर भी किसी तरह की जांच करना मतलब स्वयं के
गले मे फांशी लगाने के समान है। इस मामले में भी स्वयं सर्वोच्च न्यायालय
को जांच के आदेश देने होंगे।
अरविन्द ने अचानक ही राजनीति की बिसाद में बहुत बड़े उथल पुथल कर दिए
है। वाड्रा पर लगाये गए आरोप जहाँ खुद को सत्य साबित करते है वही दूसरी तरफ
इस बात में कोई दो राय नहीं है की अगले चुनाव में भ्रष्टाचार बहुत ही अहम्
मुद्दा होगा। अरविन्द के गडकरी के ऊपर लगाये गए आरोपों से ये साफ साबित
होता है की अरविन्द न तो संघ और नाही बीजेपी के मुखौटे है। अरविन्द,
कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहे घमाशान में आम आदमी किस तरह जीतेगा ये
देखना बड़ा ही रोचक होगा।
Doing Kamaal,
Tuesday, 16 October 2012
Flop deal not a Snap deal
I purchased a
Karbonn A7 mobile from snapdeal.com I saw all the feature of this mobile on the
website and trusted snapdeal as brand to purchase this mobile. Snap Deal goofed
up in 1st hand only when they shipped only mobile and battery to me
and all other accessories were missing from the product though it was solved after
follow up of 3days with the company and they promised me delivery of
accessories.
I spoke to it’s
customer care and came to know that open mobile box was not part of Quality
check and after getting touch and feel of Mobile I decided to return it as the
feature of mobile was not matching with any feature mentioned on it’s website.I purchased a
Karbonn A7 mobile from snapdeal.com I saw all the feature of this mobile on the
website and trusted snapdeal as brand to purchase this mobile.
Snap Deal goofed
up in 1st hand only when they shipped only mobile and battery to me
and all other accessories were missing from the product though it was solved after
follow up of 3days with the company and they promised me delivery of
accessories.
I spoke to
sanpdeal for pick up of product and refund of my money. Snapdeal gave me his courier
partner number for pickup of product and I sent product back to them after
doing followup for a month for refund of my money they sent me same product
back and there is no feedback from their customer care team.
I suggest
everyone here that not to purchase anything from Snapdeal as there is no guarantee
that you will receive what snap deal has promised on it’s website.
Doing Kamaal,
Wednesday, 10 October 2012
Congress – Arvind – Vadra – BJP
Arvind Kejariwal decided to come into active politics and as
you know when you don’t have power to development and then talk about
development and show the people that who is the culprit in system, due to whom
development is not taking place. Arvind did his best to expose many ministers
involved in scam and corruption charges. We all know that if we’ll throw out MP
with serious charges in parliament then the Quorum will be too less to pass any
bill for development of our society.
Congress came back in power in 2004 after diminishing of
BJP. Congress ministers had thought very less about development and Sonia
Gandhi selected Shree Manmohan Singh as PM of India. We all know selected
people can’t perform better than elected people so we all know what congress
did for 1st five years. There are lists of Congress leaders and alliance
partner named in various scam during UPA regime. Congress suspended many of
them from party but slowly everyone is coming back in party.
Arvind brought some fact on public platform which talk about
dealing between DLF & Vadra. There are some facts and figure shown by
Arvind that how Vadra got benefit of his political relationship to gain money
from purchase & sale of land. As per Congress Vadra is just a normal
citizen of India but all most all leaders of Congress came on various TV
channel to show that vadra is not guilty for anything. Vadra incident is clearly
showing power of family politics and how few people enjoy their status of
puppet.
BJP is no mood to work as opposition party and that reason
Anna Hazare & Arvind Kejariwal coming on Road to fight for people and fight
against corruption. BJP is busy among them self to decide their PM for 2014.
They talk about religion & temple but nothing about scam & corruption. We
have not seen any of their spokeperson on any News channel to talk against
Vadra & Congress. In back door they are worried that Arvins should not take
name of BJP ministers involved in corruption.
Doing Kamaal,
Labels:
BJP,
Congress,
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politics,
Scam,
Shree Manmohan Singh
Tuesday, 9 October 2012
फ्रीज़र
ठंडा पानी पिया बड़ा मज़ा आया. मै १ लीटर से
ज्यादा पानी पी चूका था. आप मुझे पूछ सकते है ठंडा पानी पिने मै इतनी बड़ी
बात क्या है, अरे भाई १९९२ में बहुत ही कम घरो में फ्रीज़र होता था. मै
बहुत खुशनसीब था जो की मेरे घर में फ्रीज़र था. मेरे पिताजी बैंक में कार्य
करते थे तो सुख सुविधा की हर चीज़ घर में मौजूद थी.
१५ मई १९९२ पापा ऑफिस से घर जल्दी आ गए. उनके पीछे दो आदमी एक बड़ा सा
बॉक्स उठा कर ला रहे थे. बॉक्स ५ फीट लंबा था, माँ और मै सोच रहे थे की
इतने बड़े बॉक्स मै क्या आया है. पापा ने देलिवेरी बॉय को २० रुपये दे दिए
और मुझे ५ रुपये देकर बाज़ार से नारियल और फूल लेन को कहा. मै इस वक़्त
बाज़ार नहीं जाने चाहता था मेरी उत्सुकता तो बॉक्स के अन्दर आये सामन को
देखने की थी. पापा ने फिर एक बार कहा बेटा जल्दी जा और फूल लेकर आ फिर ये
बॉक्स खुलेगा. मै झट बाज़ार की तरफ दौड़ा और माली चाचा के यहाँ से हार और फूल
लेकर झट घर आ गया.
खुल जा सिम-सिम!! अली बाबा की फिल्म का डायलोग मेरे मन मै गूंज रहा था.
पापा बॉक्स की तरफ बढे और बॉक्स खोला और खोलते खोलते बताया की इसके अन्दर
फ्रीजर है. भाई पूजा हुई, नारियल फूटा, पड़ोस से शर्मा चाचा, शेख भाई, तोमर
दादा, हंडे काका सब को मै घर बुला के लाया. फ्रीज़र मे पानी रखा, सबके लिए
चाय बन के आई, चाय पिने के बाद सभी बैठ कर बातें करने लगे. भाई पानी ठंडा
होने मे टाइम तो लगता है. शायद पहेली बार लोग चाय पिने के बाद पानी पिने का
इंतजार कर रहे थे.
भाई आधा घंटा काटना दुस्वार हो गया, मई का महिना था और गर्मी बहुत थी. आधे
घंटे बीत गए पानी ठंडा हुआ, निम्बू शरबत बना लोग पिने लगे,
मै भी एक कोने में बैठकर निम्बू शरबत का मज़ा ले रहा था. भाई अब तो रोज़
ठंडा पानी पीना और गरम खाने को फ्रीज़र मे रख कर ठंडा करके खाने में मुझे
बहुत मज़ा आता था, अरे भाई १२ साल का था मै कुछ अलग करने में ही मज़ा आता था.
मै हमेशा फ्रीज़र खोलने का मौका देख ता रहता था. जब किसी का ध्यान फ्रीज़र
की तरफ नहीं होता था मै चुप-चाप फ्रीज़र खोल के उसके सामने खड़ा हो जाता
था, ठंडी हवा खाने मे बहुत मज़ा आता था , अरे भाई उस समय ए.सी नहीं था घर पे
तो फ्रीज़र के सामने ही खड़ा होकर हवा ले लेता था. और उस समय मुझे ए.सी के
बारे मे पता भी नहीं था. ए.सी उस समय आम बात नहीं थी और सिर्फ ख़ास लोगो के
घर ही पाया जाता था.
कम से कम मोह्हाले के २० घर मेरे फ्रीज़र से पानी ले जाते थे. अब मै
क्रिकेट खेलते समय ओपनिंग में बल्लेबाजी करने आता था. अरे भाई में खुश
रहूँगा तो ही तो ब्रेक में ठंडा पानी पिने मिलेगा. अचानक से डॉक्टर ने भी
सुई लगाने के बाद बर्फ से सेकाई करना जरूरी कर दिया था तो पुरे मोहल्ले मै
किसे सुई लगी है ये बात हमरे घर पर पता चल जाती, आज किसके घर पर आमरस बनेगा
ये भी हमें पता रहता था.
अब फ्रीज़र वालो का वो रुतबा नहीं रहा. हर घर में फ्रीज़र है. उस
समय हमरा फ्रीज़र १६००० रुपये मै खरीद कर आया था और आज कल तो ५-६ हज़ार में
भी फ्रीज़र आ जाता है परन्तु आज भी मै आपने बचपन के दिन और फ्रीज़र के साथ
जुडी यादो को याद कर के खुश रहेता हु. अब हमर वो पुराना फ्रीज़र कबाड़ी
वाला ले गया क्योंकि उसके मरम्मत के खर्चे में अब नया फ्रीज़र आने लगा है.
Doing Kamaal,
Cricket & India
People say Indians are crazy about cricket.below are 10reason why Indians are so crazy about cricket.
1.Indians always liked IMPORTED things & Cricket is not an Indian game.
2.Indians are crazy about football where we don't have Indian team than we have our team to play cricket.
3.Every new born baby gets bat & ball as 1st toy & his 1st dream to be Sachin Tendulkar.
4.cricket is game which is on TV for all 12months so people don't have option.
5.from the birth children play cricket so they only know cricket.
6.promotion of cricket is too much than any other game.
7.Every Indian can connect him self with cricket as they also know how to play .
8.cricket is game which does not require any special skill.you can run then you can play cricket.
9.India lost World cup & did not qualify for super eight our BCCI president got sentimental & told that there is need to change team but nothing happened.
10.As Indian only spent money on cricket and cricket is only game where they win.we only like game when we win. If you are not agree with my reason then send me email on k9kamal@gmail.com. You too can write that why do you like cricket. 14th Player of my local gualli team.
Doing Kamaal,
Monday, 8 October 2012
कुछ भी हो सकता है
अपने डेस्क पर बैठ कर मै कुछ सोच रहा था, करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था.
मैंने अपने कंप्यूटर पर जाकर ट्विट्टर पर लोग इन किया और अपडेट पढ़ने लगा
और अचानक मेरा ध्यान अनुपम खेर के ट्वीट पर गया. अनुपम खेर ने अपने ट्वीट
में कहा की अपने जीवन मे घटी एक ऐसी घटना मुझे बताइए जिससे आप "कुछ भी हो
सकता है" इस जुमले पर भरोसा करने लगे. दोस्तों आपके मेरे सभी के जीवन मे एक
ऐसा मोड़ आता है जहा हम थक कर रुक जाते है और हमें हमारा लक्ष्य असंभव
दिखने लगता है, परन्तु अचानक कुछ ऐसा होता है जिससे हम अपने लक्ष्य को पा
जाते है और भगवन को धन्यवाद करके मन ही मन सोचते है "कुछ भी हो सकता है".
मैंने अपने जीवन की उस घटना को खेर साहब को बताया जिसके कारण मुझे "कुछ भी
हो सकता है" इस बात पर विश्वास हो गया.
अगले दिन सुबह उठकर मै ऑफिस
जाने के लिए रेडी हो गया, बस की कतार में खड़े खड़े मैंने मोबाइल से ट्विट्टर
लोग इन किया और अनुपम खेर के नाटक का निमंत्रण पाकर दंग रह गया. मैं २४
वर्षो से मुंबई में हु पर आज तक मै कभी किसी फिल्म अभिनेता से नहीं मिला, न
मुझे उनको देखने जाने की फुरसत थी और न उनके पास मुझे मिलने आने की. खेर
साहब ने मुझे ट्वीटर पर एक ईमेल आए.डी दी और कहा की इस पते पर मै अपने बारे
जानकारी दे दू और मुझे उनके नाटक का पास मिल जाएगा. मै मन ही मन खुश हो
रहा था की आज अभिनेता से भी मिलूँगा और जीवन में पहली बार नाटक भी देखूंगा.
ऑफिस पहुच कर मै अपने काम में व्यस्त हो गया.
ठक-ठक........ठक-ठक.........ठक-ठक........ठक-ठक
मेरे
मोबाइल का रिंगटोन बज रहा था, नंबर अंजान था तो मैंने काम की व्यस्तता को
देख कर उसे नहीं उठाया और कुछ समय के बाद मेरा मोबाइल फिर से बजा, नंबर वही
था तो मैंने इस बार फ़ोन उठा लिया. महिला की आवाज ने पूछा कमल तो मैंने
कहा हा बात कर रहा हु. महिला ने कहा मै अनुपम खेर के ऑफिस से बोल रही हो और
आप अपना पास हमारे संताक्रुझ के ऑफिस से आकर ले जाए और इतना कहकर फ़ोन रख
दिया. मै चर्चगेट मे था और ऑफिस से निकलकर संताक्रुझ आना और फिर पास लेकर चर्चगेट जाकर नाटक देखना मुझे थोडा कठिन लगा और अचानक
ठक-ठक........ठक-ठक.........ठक-ठक........ठक-ठक
मेरा
मोबाइल बजने लगा. मैंने देखा तो अनुपम खेर के ऑफिस से फ़ोन आ रहा था.
मैंने झट से फ़ोन उठाया और दूसरी तरफ से मधुर आवाज मे महिला ने कहा कमल तो
मैंने कहा हा बात कर रहा हु, महिला ने मुझे कहा की आप को संताक्रुझ आने की
कोई जरुरत नहीं आप को आपका पास नाटक केंद्र के बाहर ही मिल जाएगा और अब फिर
से कठिन दिखने वाला काम सरल हो गया और मैंने मन ही मन सोचा "कुछ भी हो
सकता है".
खेर साहब ने पूछा था की अपने जीवन की एक घटना बताओ और
मेरे साथ २४ घंटे के अंदर कई घटना इतनिबार हो चुकी थी जिससे मै मन ही मन
सोच रहा था की "कुछ भी हो सकता है".
अकेले नाटक देखने जाना भी मुझे
अच्छा नहीं लगा तो झट से फ़ोन उठाया और प्रभात को फ़ोन कर दिया. प्रभात ने
कहा की यार बॉस के साथ एक मीटिंग में जाना है इस लिए मै नहीं आ पाउँगा
(आये ऍम सॉरी). फिर एक बार मेरे लिए नाटक मे जाना कठिन हो गया और फिर वही
ठक-ठक........ठक-ठक.........ठक-ठक........ठक-ठक और डिस्प्ले पर प्रभात का
नाम आ रहा था मैंने कॉल उठाकर बोल हां बोल और दूसरी तरफ से प्रभात ने कहा
मीटिंग कैन्सल हो गयी तो मै आ रहा हु चर्चगेट स्टेशन पर मिलते है और वहा
से साथ जायंगे और मैंने मन ही मन सोचा....
"कुछ भी हो सकता है"
घडी
मे सात बज गए थे पर खेर साहब का कही अता-पता नहीं था कलाकारों को देर से
आने की आदत होती है तो हम इस देरी के लिए तैयार बैठे थे. घडी मे ७.३० बज
रहे थे की अचानक एक आवाज आई "लोग बहुत शांत बैठे है" मैंने मंच पर देखा तो
खेर साहब नहीं दिखे पर आवाज तो खेर साहब की ही थी. लोग यहाँ वहा खेर साहब
को खोज रहे थे और अचानक पीछे के दरवाजे खेर साहब ने एंट्री की, नायक की
एंट्री नायक की तरह. खेर साहब ने लोगो से बात चित की और मंच की तरफ जाने
लगे और बीच मे उन्हें भाग्यश्री मिल गयी और अनुपम खेर ने कहा मैंने
प्यार किया. खेर साहब ने अपने मोबाइल की घंटी बजने का नाटक किया और हम सब
से कहा की हम अपना मोबाइल silent पर रख दे.
खेर साहब का नाटक आरंभ
हो चूका था. खेर साहब एक के बाद एक नए किरदार मे आ रहे थे और हमें उनके
जीवन मे हुई सभी घटनाओ से रुब रु करा रहे थे. उनके बचपन के दिन, उनका
परिवार, उनका स्कूल का नाटक और अंग्रेजी की क्लास. उनका पहला प्यार और
परीक्षा में मिले कम अंक . खेर साहब के हर एक शब्द मे जादू था हर लाइन के
बाद तालियों की आवाज से हाल गुजने लगता और फिर खेर साहब ने कहा की अब हम एक
छोटे से बिराम के लिए रुकेंगे. अभी तक नाटक मे हर जगह खेर साहब असफल हुए
थे. खेर साहब की असफलता के साथ मुझे भी अपने जीवन की असफलता याद आ रही थी
और "कुछ भी हो सकता है" जैसा कुछ नहीं हुआ था.
खेर साहब फिर से मंच
पर आ चुके थे. खेर साहब ने कहा मेरे साथ जो पहेले भाग मे हुआ वो सभी के साथ
होता है परन्तु जो दुसरे भाग मे हुआ वो सिर्फ कुछ लोगो के साथ होता है. अब
जिंदगी के हर एक मोड़ पर खेर साहब सफल हो रहे थे. अभिनय की पढाई में गोल्ड
मेडल मिल गया, मुंबई मे फिल्मो में कम मिल गया, जिस अमिताभ बच्चन को वो
परदे पर देखते थे उनके साथ काम करने लगे, सफलताओ के दौर मे छोटी मोटी
परेशानिया आई परन्तु खेर साहब आगे बढ़ते गए. मै खेर साहब के नाटक मे इस तरह
खो गया था की घडी की तरफ ध्यान ही नहीं था. नाटक ख़त्म हुआ और अचानक मैंने
घडी में देखा तो १० बज गए थे. खेर साहब से हाथ नहीं मिला पाया क्योंकि
जल्द से जल्द घर पहुचकर सुबह वापस काम पर आना था. मै हाल से बहार आया तो मन
ही मन सोचा इस बात हाथ नहीं मिला पाया परन्तु अगली बार खेर साहब के साथ बैठ कर खाना खाऊंगा
क्योंकि "कुछ भी हो सकता है".
Wednesday, 3 October 2012
क्या तीसरा मंच एक विकल्प है?
राजनीति मे हर नया दिन एक नए जोड़-तोड़
की शुरवात करता है. पिछले कुछ दिनों मे राजनितिक समीकरणों मे अमूलचुल
परिवर्तन हुए है. एलपीजी, डीसेल और एफडीआई के मुद्दे पर ममता दीदी ने
केंद्र से आपना समर्थन वापस ले लिया. ममता के सर्थन लेते ही कांग्रेस ने
सपा और बसपा सरीकी राजनीतिक पार्टिया से मोल-भाव कर लिया और वर्तमान समय मे सरकार को बहुमत साबित करने मे कोई परेशानी नहीं होगी और वही तीसरे मंच के
विकल्प की बाते जोर पकड़ने लगी.
हाल ही मे हुए कई समाचार चैनलो के
सर्वे के माध्यम से ये खबर सामने आई की प्रादेशिक पार्टिया केंद्रीय
पार्टियों के मुकाबले मजबूत हो रही है इस बात का सबसे बड़ा उदहारण सपा है
जिसे कई समाचार चैनलो ने कांग्रेस और बीजेपी के बाद सबसे बड़ी पार्टी
बताया. मुलायम एक तरफ सरकार को समर्थन दे रहे है क्योंकि वो नहीं चाहते की
केंद्र मे असम्प्र्दायिक ताकतों का बोलबाला हो पर वाही दूसरी तरफ सपा ने
पुरे जोर-शोर से भारत बंद मे समर्थन किया और सरकार से एलपीजी, डीसेल और
एफडीआई के मुद्दे पर पिछे हटने को कहा. मुलायम की राजनीती को कोई आज तक
नहीं समझ पाया है.
कोयला घोटाले मे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के
नेताओ का नाम सामान रूप से सामने आ रहा है. बीजेपी ने कोयला घोटाले मे जांच
करने की मांग को लेकर संसद का शीतकालीन शत्र नहीं चलने दिया और कांग्रेस
और बीजेपी के आपसी मतभेदों से प्रादेशिक पार्टियों को लाभ मिल रहा है.
अरविन्द केजरीवाल और उनके India against corruption के सदस्य भी
कांग्रेस और और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. राजनीति के गलियारों
मे होने वाले ये सभी समीकरण तीसरे मंच के विकल्प की कल्पना मजबूत कर रहे
है.
क्या तीसरा मंच एक विकल्प है?
श्री मनमोहन सिंह ने कुछ
ही महीनो पहेले आपने साक्षत्कार मे कहा की गटबंधन की राजनीति मे फैसले लेने
काफी कठिन है जिसके कारण आर्थिक बदलाव लाने मे दिक्कते आ रही है. हम
भूतकाल मे देख चुके है की किस तरह वामदल ने परमाणु अनुशंधन के फैसले पर UPA
-1 से अपना समर्थन वापस ले लिया, UPA -2 मे ममता दीदी ने एलपीजी, डीसेल और
एफडीआई के मुद्दे पर अपना समर्थन वापस ले लिया. भाजपा भी NDA के शासनकाल
मे गटबंधन की राजनीति के विरोध को देख चुकी है.
वर्तमान समय मे
कांग्रेस के पास २०० से भी ज्यादा सांसद है परन्तु श्री मनमोहन सिंह के
अनुसार गटबंधन के चलते कड़े फैसले लेने मे सरकार को कठिनाईयों का सामना
करना पड़ रह है. तीसरे मंच के सबसे बड़ी पार्टी के पास ६० से अधिक सांसद
नहीं होंगे, तीसरे मंच का समीकरण कांग्रेस के वर्तमान सांसदों की गिनती का
ठीक उल्टा है. तीसरे मंच मे कई छोटी मोटी प्रादेशिक पार्टिया होंगी २०० से
भी ज्यादा सांसदों का गटबंधन होगा जिससे निर्णय लेना और कठिन हो जायेगा. इस
बात से भी इनकार नहीं कर सकते की सभी पार्टिया बन्दर बाँट मे लग जाए.
यदि आप ने कांग्रेस और भाजपा के समय मे भारत मे कोई प्रगति नहीं देखी तो आप तीसरे मंच से ज्यादा उम्मीद न लगाये !
Tuesday, 2 October 2012
Gandhi or Mahatma Gandhi
We all know about Mr. Mohandas Karmchand Gandhi. We all know his date of birth & his place of Birth. You can read about his Qualifications & works in many books. We always read many good things about Mr.Gandhi.
I am listening about Mr.Gandhi from my birth. We can see his photo in every government offices. As per our history Mr.Gandhi played important role in freedom of India, yes he did. We all know that after Freedom of India, congress was in power for many years. What ever history we read, that history was drafted by Congress. You must have observed that we have many chapters about Gandhi & Congress in our History book than any other people involved in freedom struggle. We will find very small part about our Krantikaris like Sahid Bhagat Singh, Chandrashekha Azad and Netaji Subhash Chandra Bose.
Our History has been written by Congress government so it talks about Gandhi & Congress. Gandhi was leader of Congress. I read one book about Sahid Bhagat Singh. as per the books Gandhi didn't try to save Shaid Bhagat Singh, Datt Guru and Sukhdev. It was possible for Gandhi to save these three. Gandhi didn't save any of three as that will increase the follower of Krantikari and decrease of his own follower so politics is very old. No doubt that Gandhi played very important role in freedom of India. An Indian person Nathuram Gotse killed Gandhi. It means there was section of people who were not happy Gandhi.
With all respect to Mr Gandhi why he didn't save all our fighter ? It was only due to fear of loss of few followers. Why we call him "Mahatma" ? now a days people use to say that Aamir Khan is best person for marketing. I believe Congress did best promotion of Gandhi to make him "Mahatma Gandhi". A person can not be Mahatma if he let other die due to fear of change in power. It's only congress made him Mahatma.
I am very sorry for Gandhi but want to see other freedom fighter also as Mahatma who lost their life for country and not like Gandhi who killed by our own person.
(I respect Mr.Gandhi but book which I read, forced me to write the other side of possible story. This post is totally based on the assumption derived from the Book on Shahid Bhagat Singh)
You can read more about The Brand – Gandhi
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