Wednesday 17 October 2012

वाड्रा - खुर्शीद - अरविन्द - बीजेपी

इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अगुआ अरविन्द केजरीवाल के वाड्रा - डीएलऍफ़ खुलासे
के बाद एक तरफ जहाँ कांग्रेस के बड़े नेता गाँधी परिवार के दामाद के रक्षा
के लिए आ गए वही दूसरी तरफ खुर्शीद अपनी जंग अकेले ही लड़ रहे है और अब तो
कलम छोड़कर खून - खराबे की बात करने लगे है। वाड्रा खुलासे मे सबसे आश्चर्य
जनक बात ये लगी की वाड्रा जैसे आम आदमी के लिए कांग्रेस के आला नेता बचाव करने आ गए परन्तु खुर्शीद के मसाले में वही आला नेता दूर-दूर तक नदारद थे।

वाड्रा - डीएलऍफ़ मामले में सरकार कोई हरकत नहीं कर रही है। मामला घर का
है तो शायद ही कोई सरकारी विभाग इस मामले में कोई कदम उठाएगा और स्वयं
सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले में जांच के आदेश देने होंगे। वाड्रा को
लेकर इंडिया अगेंस्ट करप्शन और समाचार चैनेल दोनों ही बड़ी उत्सुकता से
खुलासे पर खुलासे कर रहे है पर हम सभी जानते 125करोड़ की इस आबादी वाले देश
में खबरों की कोई कमी नहीं है। वाड्रा मामले में कोई भी बड़ा कदम उठाना सरकारी तंत्र के लिए संभव नहीं है क्योंकि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।



खुर्शीद और उनके ट्रस्ट पे लगे आरोप सबके सामने है और उनके मानहानि के
दावे के बावजूद आजतक आपने खुलासे पर कायम है जाहिर सी बात है की आजतक ने भी
इतने बड़े नेता पर आरोप लगाने से पहेले अपना पूरा घरकाम किया होगा। खुर्शीद
के द्वारा समाचार चैनेलो को दिए गए सबूत भी लोग फर्जी बता रहे है। खुर्शीद
भारत के कानून मंत्री है तो उनपर भी किसी तरह की जांच करना मतलब स्वयं के
गले मे फांशी लगाने के समान है। इस मामले में भी स्वयं सर्वोच्च न्यायालय
को जांच के आदेश देने होंगे।



अरविन्द ने अचानक ही राजनीति की बिसाद में बहुत बड़े उथल पुथल कर दिए
है। वाड्रा पर लगाये गए आरोप जहाँ खुद को सत्य साबित करते है वही दूसरी तरफ
इस बात में कोई दो राय नहीं है की अगले चुनाव में भ्रष्टाचार बहुत ही अहम्
मुद्दा होगा। अरविन्द के गडकरी के ऊपर लगाये गए आरोपों से ये साफ साबित
होता है की अरविन्द न तो संघ और नाही बीजेपी के मुखौटे है। अरविन्द,
कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहे घमाशान में आम आदमी किस तरह जीतेगा ये
देखना बड़ा ही रोचक होगा।





Doing Kamaal,




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