आसमां कितना साफ है !
दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है !
अँधेरा भी जैसे उजाला फैला रहा है !
क्या वक़्त यूही थम सकता है !
बिना सूरज के क्या दीपक जल सकता है !
समझ न पाओगे मेरी बातों को तूम !
तुमने हमेशा उजाले से प्यार किया !
तुमने हमेशा अँधेरे का तिरस्कार किया !
आसमां कितना साफ है !
दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है !
अँधेरा भी जैसे उजाला फैला रहा है !
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