Monday, 3 December 2012

सन्नाटा और अँधेरा


आसमां कितना साफ है !
दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है !
अँधेरा भी जैसे उजाला फैला रहा है !
क्या वक़्त यूही थम सकता है !


बिना सूरज के क्या दीपक जल सकता है !

समझ न पाओगे मेरी बातों को तूम !
तुमने हमेशा उजाले से प्यार किया !

तुमने हमेशा अँधेरे का तिरस्कार किया !


आसमां कितना साफ है !

दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है !
अँधेरा भी जैसे उजाला फैला रहा है !




No comments:

Post a Comment

.