Monday 24 February 2014

कोयले की चोरी


कमाल सुबह उठा और जैसे ही उसके हाथ मे अखबार आया वो
कोयले की चोरी का मामला पढ़कर हक्का - बक्का रह गया. कोयले हमारे भारत की
भू संपदा है उसका चोरी होना कोई मामूली बात नहीं थी. कमाल सोच सोच कर हैरान
था की कोयला चोरी कैसे हुआ.  कमाल नुक्कड़ पर चाय पीने आया तो लोगो से बात
करने लगा की किस तरह करोडो का कोयला चोरी हो गया. कमाल ने गाँव के लडको के
साथ कभी बार मालगाड़ी मे से कोयला चुराया पर कभी भी उसे बेचने के बाद हज़ार
रुपये से ज्यादा नहीं मिला क्योंकि उससे ज्यादा का कोयला चुराकर बेचना आसन
नहीं था.





कमाल कोयले की चोरी के बारे में सोच सोच कर परेशान हो रहा
था क्योंकि वो जानना चाहता था की कोयला किस तरह चुराकर ले जाया गया और किस
बन्दे ने करोडो हज़ार रुपये के कोयलों की चोरी की और किस बन्दे ने करोडो
रुपये के कोयले को हाथो हाथ खरीद लिया. कमाल जानता था की कोयला चुराना कोई
आसन काम नहीं है. कोयला चुराकर बाज़ार तक पहुचाना काफी कठिन था. कमाल फिर से
घर आया और अखबार उठाकर पढ़ने लगा. इस बार उसने हर एक बात ध्यान से पढ़ी तब
उसे मालूम पड़ा की कोयला सिर्फ सरकारी पन्नो पर चोरी हुआ है. असली कोयला
अभी भी वाही पड़ा है जमीन के नीचे, पर आज नहीं तो कल वो जमीन के नीचे से चोरी हो जायेगा.




कमाल
भी अब बड़ी कोयला चोरी के बारे मे सोचने लगा. वो भी अब सिर्फ पन्नो पर
कोयला चोरी कर के पैसा कमाना चाहता था. कमाल को लगा की पन्नो पर कोयला चोरी करना  आसन है पर उसे पता नहीं था की पन्नो पर कोयला चोरी करने के लिए उसे
पहेले राजीनीति मे आना पड़ेगा और कोयला चोरी के लिए कम से कम विधानशभा का
चुनाव जितना पड़ेगा जो अपने आप मे बहुत बड़ा काम है और कमाल जैसे बन्दों को
आपना पूरा जीवन लगाना पड़ेगा और शायद पूरा जीवन लगाने के बाद भी मौका न
मिले.




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