मुंबई की तंग गलियों में कही खो गया मै,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
कई दिन बीते मिला नहीं मै,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
अँधेरी और उजली रात का एहसास नहीं है,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
जाने दिन बीते कितने मैंने ऊपर नहीं देखा है,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
लाईट की चका चौंध में तारे गुम गए,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
सुना टूट के एक तारा गिरा कही है,
पर क्या वो सितारा अभ्भी चमकता है।
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