Saturday 4 May 2013

बचपन की नींदिया

माँ के उठाने पर दुबक कर सो जाता था,


बचपन की नींदिया में बड़ा मज़ा आता था।





आठ घंटे की नींद को बारा घंटे तक ले जाता था,


बचपन की नींदिया में बड़ा मज़ा आता था।





घड़ी की टिक टिक की परवाह नहीं करता था,


बचपन की नींदिया में बड़ा मज़ा आता था।





अलारम बजने पर कान बंद कर सो जाता था,


बचपन की नींदिया में बड़ा मज़ा आता था।





बिस्तर और जमीन का फरक नहीं समझ आता था,


बचपन की नींदिया में बड़ा मज़ा आता था।





Doing Kamaal, 
Kamal Upadhyay

No comments:

Post a Comment

.