Thursday 20 June 2013

गुमशुम था उदास बैठा


गुमशुम था उदास बैठा मै किसी आस में !!
धुंधला था सब कुच्छ किसी तलाश में !!

मंजिल पास आकर चली जाती थी !
आँख पर बंधी पट्टी कुच्छ न समझ पाती थी !!


व्याकूल था मै, सफलता पाने को !
अपने नाम का सितारा आसमान में चमकाने को !!

भीड़ बड़ी थी पर तनहा सा मंजर सारा था !
घनघोर घटाओ का चारो तरफ अंधियारा था !!

गुमशुम था उदास बैठा मै किसी आस में !!
धुंधला था सब कुच्छ किसी तलाश में !!


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