Tuesday 18 June 2013

सोचा बारिस

सोचा बारिस के नाम कुच्छ लिख दू !


उसे एक पैगाम लिख दू !!





क्यों तू बरस के थम जाती है !


ना थमे तो कहर ढाती है !!





तुझसे मोह मुझे बड़ा गहरा है !


तेरे थम थम के बरसने से चमकता चेहरा है !!





तूने कई जीवनों को महकाया !


पर तेरी आफत ने कई जीवनों को जलाया !





तू ना बरसे तो मै तड़पता हु !


तेरे बरसने पर भी मै तड़पता हु !!





सोचा बारिस के नाम कुच्छ लिख दू !

उसे एक पैगाम लिख दू !!






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