Friday, 31 January 2014

Chhutpan Ke Sapano Me Khoya Hai Man



Chhutpan Ke Sapano Me Khoya Hai Man, Kabhi Jagate Kabhi Sote Roya Hai Man !!





Kabhi Vo Bachpan Ki Lukka Chhippi Me Muskrata Hai Man !





Mogali, Alif laila Ki Kahaniyo Ko Soch Khil Khilata hai Man !





Maa Ki Daant Aur Pathshala Ke Gharkaam Ko Soch Ghabraata Hai Man !





Kabhi Langadi Aur Kabhi Kabbaddi Me Kho Jata Hai Man !





Charane Ki Toffi Aur pachas Paise Ki Malai Kulfi Se Lalchata Hai Man !





Chhutpan Ke Sapano Me Khoya Hai Man ! Kabhi Jagate Kabhi Sote Roya Hai Man !!


गांधी एक ब्रैंड



आज़ादी कि लड़ाई के बाद गांधीजी चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी को भंग कर दिया जाए।  परन्तु नेहरु तथा कांग्रेस पार्टी के कई सदस्य गांधीजी की इस बात से सहमत नहीं थे। कांग्रेस के सदस्यो और गांधीजी के बीच इस बारे में कुछ विचार विमर्श होता उससे पहेले गांधीजी ए दुनिया छोड़कर चले गए. आज़ादी के पहेले कांग्रेस ने आज़ादी कि लड़ाई में भागीदारी निभाई थी और आज़ादी के बाद वो देश पर एक राजनैतिक पार्टी के रूप में शासन करने लगे।





भारत का इतिहास गांधीजी और कांग्रेस को शीर्ष में रखकर लिखा गया है।  स्कूल कि इतिहास की किताबे पढने पर तो ऐसा लगता है भारत का इतिहास नहीं बल्कि हम गांधीजी और कांग्रेस कि आत्मकथा पढ़ रहे है। भारत कि आज़ादी कि लड़ाई में कई ऐसे स्व्तंत्रता सेनानी है जिन्हे कांग्रेस द्वारा लिखे इतिहास में कोई जगह नहीं मिली।  कुछ आज़ादी कि नेताओ को इतिहास कि किताबो एक दो अनुच्छेद मिल गए पर स्कूल में मास्टर साहब ने कह दिया था कि इन्हे याद करने कि जरूरत नहीं है क्योंकि छमाही परीक्षा के प्रश्नो में लोग महत्तवपूर्ण नहीं है। कांग्रेस ने गांधीजी को एक बड़ा ब्रैंड बना दिया और तब से आज तक उनके नाम को भुना रही है। 





इंदिरा नेहरु ने एक पारसी व्यक्ति से शादी कि थी।  परन्तु हिन्दू पारसी शादी में कुछ अड़चने आ गयी और इस अड़चन को दूर करने के लिए गांधीजी ने इंदिरा को अपना उपनाम गांधी दे दिया।  इंदिरा नेहरु अब इंदिरा गांधी बन चुकी थी।  गांधीजी एक ब्रैंड बन चुके थे।  पुरे भारत वर्ष में गांधीजी के करोडो प्रशशंक थे। गांधीजी का नाम चारो तरफ फ़ैल चूका था कि तभी एक दिन दहाड़े दोपहर में गांधीजी कि हत्या कर दी गई। जिस गांधीजी के खिलाफ कोई खड़ा नहीं हुआ उसे दिन दहाड़े गोलियो से छलनी कर दिया गया।  गांधीजी कि हत्या से लोगो में गांधीजी के प्रति सम्मान दिन दुगना रात चौगुना हो गया। गांधीजी कि हत्या के बाद उनकी और कांग्रेस कि ब्रैंड वैल्यू में काफी बढ़ोतरी हुई।  





क्या हत्या होने से लोग ब्रैंड बन जाते है ?





मेरे प्रश्न का जवाब कांग्रेस के जगह जगह टंगे पोस्टरो से मिल जाता है।  कांग्रेस के हर पोस्टर में आप गांधीजी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को देख सकते है।  जवाहरलाल नेहरु को तो जैसे कांग्रेस वाले भूल गए।  गांधीजी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी में क्या समानता है और क्यों ए कांग्रेस के हर पोस्टर पर नज़र आते है।  आप ने सोचा कभी इस बारे में ! गांधीजी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी इन सभी कि हत्या कि गई थी।  और इनकी हत्या के कारन इन्होने ने हमेशा लोगो के मन में अपनी एक नई तस्वीर बनाई।  कांग्रेस इस बात से भली भांति परिचित है और शायद इसलिए आपको गांधीजी उनके हर पोस्टर पर नज़र आते है।  





गांधीजी ने शायद भारत और कांग्रेस का राजनितिक भविष्य देखा था और शायद इसलिए वो चाहते थे कि भारत को स्व्तंत्रता मिलाने के बाद उन्होंने कांग्रेस को भंग करने कि मांग कि थी। हम सभी गांधी का सम्मान करते है पर इसका मतलब ए नहीं है कि कांग्रेस सिर्फ गांधीजी के नाम पर वोट मांगती फिरे।  यदि कांग्रेस कहती है कि वो गांधीजी के पथ पर चल रहे है तो १९८४ में हुए सिख्खो के कत्लेआम के बारे में कांग्रेस कि क्या राय है।  २ सीखो ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के इंदिरा कि हत्या कर दी और उसके बाद सिख्खो का कत्लेआम हुआ।  उनके एक बड़े नेता ने कहा जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तो उससे कई और पेड़ उखड जाते है।





गांधीजी अहिंसा के पूजारी थे।  कांग्रेस ने कई मौको पर गांधीजी के विपरीत पथ पर जाकर राजनीती कि है। चाहे १९८४ का सीखो का कत्लेआम हो या फिर इंदिरा गांधी द्वारा भारत पर थोपा गया आपातकाल। कांग्रेस ने गांधीजी को एक बड़ा ब्रैंड बनाया और अब उस ब्रांड को अपने राजनितिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते चले आ रहे है।


Thursday, 30 January 2014

घोटालो को देखकर दिया आम आदमी रोए


घोटालो को देखकर दिया आम आदमी रोए ,

सोना चांदी लुट गया , कोयला भी अब चोरी होए !



घोटालो की जैसे बाढ़ है आयी,

किसी ने 10 तो किसी ने 100 लाख करोड़ की लुटिया डुबोई !



अंधेर नगरी अनबुझ राजा,

टके शेर भाजी टके शेर खाजा !



गरीब का तो हाल बेहाल है,

नेताजी को सिर्फ बच्चो और बैंक बैलेंस का खयाल है !



काम नहीं करने को तो चोरी करवाते है

देश का पैसा बंदरो की तरह आपस में बाँट कर खाते है !



घोटालो को देखकर दिया आम आदमी रोए ,

सोना चांदी लुट गया , कोयला भी अब चोरी होए !



Ghotalo Ko Dekhakar Diya Aam Aadmi Roye



Ghotalo Ko Dekhakar Diya Aam Aadmi Roye !


Sona Chandi Loot Gaya, Ab Koyala Bhi Chori Hoye !!





Ghotalo Ki Jaise Baadh Hai Aayee !


Kisi Ne 10 To Kisis Ne 100 Lakh Ki Lutiya Dubayee !!





Andher Nagari, Anbhuj Raja !


Take Sher Bhaji, Take Sher Khaja !!





Garib Ka To Haal Hee Behal Hai !


Netaji Ko Sirf Bachho Aur Bank Balance Ka Khayal hai !!





Kaam Nahi Hai Karanake Ko To Chori Karwate Hai !


Desh Ka Paisa Aapas Me Bandaro Ki Tarah Baatkar Khate Hai !!






Ghotalo ko Dekhakar Diya Aam Aadmi Roye !


Sona Chandi Loot Gaya, Ab Koyala Bhi Chori Hoye !!



Wednesday, 29 January 2014

कैसे बनेगा तीसरा मंच ?​


राजनीति मे हर नया दिन एक नए जोड़-तोड़ की शुरवात करता है. पिछले कुछ दिनों मे राजनितिक समीकरणों मे अमूलचुल परिवर्तन हुए है। आम आदमी पार्टी के राजनितिक प्रवेश से हुए दिल्ली के राजनीतिको गलियारो के परिवर्तन से सारा देश अचंम्भित रह गया। जंहा कांग्रेस के तीसरे सत्र कि परिकल्पना करना एक मूर्खता होगा, वही तीसरे मंच के विकल्प की बाते जोर पकड़ने लगी है। कुछ महीने पहेले बीजेपी और कांग्रेस के बाद बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली सपा अब खस्ताहाल है।

हाल ही मे हुए कई समाचार चैनलो के सर्वे के माध्यम से ये खबर सामने आई ​है की बीजेपी​ उत्तर भारत और मध्य भारत में चमत्कार दिखा सकती है और दूसरी तरफ बीजेडी, एआएडीऍमके, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड जैसी ​प्रादेशिक पार्टिया ​भी उनके राज्य में मजबूत हो​ती दिख रही है ​

क्या तीसरा मंच एक विकल्प है?

श्री मनमोहन सिंह ने कुछ ही महीनो पहेले आपने साक्षत्कार मे कहा की गटबंधन की राजनीति मे फैसले लेने काफी कठिन है जिसके कारण आर्थिक बदलाव लाने मे दिक्कते आ रही है. हम भूतकाल मे देख चुके है की किस तरह वामदल ने परमाणु अनुशंधन के फैसले पर UPA -1 से अपना समर्थन वापस ले लिया, UPA -2 मे ममता दीदी ने एलपीजी, डीसेल और एफडीआई के मुद्दे पर अपना समर्थन वापस ले लिया. भाजपा भी NDA के शासनकाल मे गटबंधन की राजनीति के विरोध को देख चुकी है.

वर्तमान समय मे कांग्रेस के पास २०० से भी ज्यादा सांसद है परन्तु श्री मनमोहन सिंह के अनुसार गटबंधन के चलते कड़े फैसले लेने मे सरकार को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. तीसरे मंच के सबसे बड़ी पार्टी के पास ​३० से अधिक सांसद नहीं होंगे, तीसरे मंच का समीकरण कांग्रेस के वर्तमान सांसदों की गिनती का ठीक उल्टा है. तीसरे मंच मे कई छोटी मोटी प्रादेशिक पार्टिया होंगी २०० से भी ज्यादा सांसदों का गटबंधन होगा जिससे निर्णय लेना और कठिन हो जायेगा.

इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते की ​तीसरे मंच​ कि ​​सभी पार्टिया बन्दर बाँट मे लग जाए​ और राष्ट्रिय मुद्दो को छोड़कर सिर्फ अपने राज्यो के बारे में सोचने लगे। ​

यदि आप ने कांग्रेस और भाजपा के समय मे भारत मे कोई प्रगति नहीं देखी तो आप तीसरे मंच से ज्यादा उम्मीद नहीं लगा सकते है।

Tuesday, 28 January 2014

दिग्विजय सिंह - राज्यसभा के रास्ते


श्री दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए नामांकन भरने कि घोषणा कि है। ए वही दिग्विजय सिंह है जीने लोग राहुल गांधी का गुरु बताते है। दिग्विजय सिंह ने हमेशा कांग्रेस कि रणनीती बनाने में एक अहम् रोल निभाया है। परन्तु उनके राज्यसभा भा नामांकन से ए बात तय हो गयी है कि स्वंय उन्हें अपने रणनीतीयो पर भरोशा नहीं रहा है। इसलिए उन्होंने संसद में जानेवाली सबसे आसान राह का सहारा  लिया है।



एक सेनापति जो अपने सैनिको से युद्ध में जान कि बाजी लगाने के लिए कहता है अगर वो स्वंय युद्ध के मैदान से चला जाए तो उस सेना का क्या हाल होगा। मधुसूदन मिस्त्री भी लोकशभा चुनावो के लिए कोंग्रेस के रणनीति बना रहे है परन्तु उन्होंने भी राज्यसभा नामांकन भर दिया है। एक सेना तभी जीत सकती है जब उनका सेनापति उनके साथ रणभूमि में खड़ा हो। कांग्रेस के रणनीतिकार एक एक करके मैदान से बहार जा रहे है।




राहुल गांधी का मानना है कि २०१४ का चुनाव कांग्रेस जीतेगी पर उनके रणनीतिकार जिस तरह राज्यसभा नामांकन भर रहे है। मुझे लगता है कि राहुल गांधी को सपने से जगाने कि जरुरत है।


Why Rahul Gandhi came on Times Now?



We all saw the Interview of the year between Rahuk Gandhi & Arnab Goswami. Rahul Gandhi did his best in interview and we all know that he has to learn a lot in politics. I salute Rahul Gahdi for taking the all the questions directly from Arnab. Rahul Gandhi should get award for appearing in interview against Arnab Goswami.






Why the Congress selected Times now than NDTV & CNN IBN?


I read in Hindustan Times that Congress men selected Times Now for interview as it’s most watched News Show. The News Hour has highest TRP in all prime time show. My theory B is not ready to accept what congress men are saying for Rahul Gandhi interview on Times Now. I am going here with all the speculations in my mind about Rahul Gandhi interview on Times Now.






Why Not NDTV?


We all know that NDTV has some soft corner for Congress. They must be having their own good amount of reason but we all know that they criticize the Congress very late than other news channel. For congress it’s channel of their friend which can be taken care of easily so they preferred Times Now than appearing on NDTV.






Why Not CNN-IBN?


We all know the real owner of CNN-IBN group. It’s sad part for democracy when a media house is owned by corporate business company, sadly CNN-IBN falls in this category. It’s been said many time in past that Congress & Reliance are very close to each other. It’s not difficult for congress to request Reliance that CNN-IBN should not carry negative story about congress. I want to make it clear that CNN-IBN has shown BJP as top party in pre-poll surveys. Congress can request them not to carry negative story.





Why Times Now?

We all know that it’s difficult for anyone control Arnab Goswami. We all know his interview with Omar Abdullaha. We all know how for weeks they carried story on Nitin gandkari. Congress knows they can’t manage the Times Now or to be precise Arnab Goswami. If Rahul would have come on NDTV & CNN-IBN then Arnab would have ripped Congress & Rahul Gandhi part by part so they preferred Times Now than NDTV & CNN-IBN.

Monday, 27 January 2014

Why Digvijay Singh took RS route?


Digvijay Singh filled his nomination for Rajyshabha from MP. Digvijay Singh is mentor of Rahul Gandhi & He is one of the core persons in Congress strategy decisions for Lokshabha Election & he took the possible easiest route to go to Lokshabha. Does it mean that He has fear of loss in coming Lokshabha elections?

On one hand Rahul Gandhi telling his party workers to be ready for 2014 election and on other hand Digvijay Singh & Madhusudan Mistry nominated for Rajyashabha. Doesn’t it point out Questions in your mind? Why to take easiest route of Parliament when you are expecting other to fight the battle & win.

Digvijay Singh’s tweets read,"Filing nomination for RS today. In this age of Youth all of us over 65 should move on to the House of Elders ! Thanks to all who wished me.







But I am not satisfied for answer he gave, to choose the route for Rajya Shabha. The party which follows the Gandhi with so much passion should also learn from Gandhi. Gandhi always told people to do things which he did himself. In my suggestion Digvijay Singh Should fight the election of Loakshabha and win than taking route of Rajyashabha.


Sunday, 26 January 2014

Frankly Speaking With Arnab Goswami




We all know Arnab Goswami very well. I am very much sure that people do watch the newshour with Arnab Goswami and his interview show Frankly Speaking With Arnab Goswami. Let's see the way Arnab conducts his interview.



Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











Arnab asked :











You must be looking for answer of person who came for interview but as you know Arnab never allows others to speak.









Friday, 24 January 2014

मैं नहीं हम - कांग्रेस


राहुल गांधी का नया पोस्टर "मैं नहीं हम" काफी बढ़िया है।  कांग्रेस हमेशा से नारे देने में बहुत ही सफल रही है। ऐसा कहेना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस एक नारा प्रधान दल है।





गरीबी हटाओ !!


कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ !!


हो रहा भारत निर्माण !!


मैं नहीं हम !!

हर हाथ शक्ति , हर हाथ तरक्की !!







परंतु सोचने वाली बात है ने इन चुनावी नारो के बाद भी उस नारे से जुड़े लोगो कि ज़िन्दगी में कोई बदलाव नहीं आया। मैं ऐसा नहीं रहा कि  कांग्रेस आम आदमी के लिए कुछ नहीं किया परन्तु २००९ के बाद हुए एक के बाद एक घोटालो कांग्रेस के सभी अच्छे कर्मो पर पानी फेर दिया।  





मैं नहीं हम !! अगर ए नारा देने से ही कांग्रेस जीत जाती तो क्या बात थी , परन्तु जमीनी सच्चाई ये है कि कांग्रेस के नारो से आम जनता काफी बार धोखा खा चुकी है।  तो मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस का नया नारा "मैं नहीं हम"  आगामी लोकशभा चुनाव में कांग्रेस को कोई नई सफलता दिलाने में सक्षम होगा। कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओ में कोई जोश नहीं दिख रहा है।  इस समय कांग्रेस को उनके कार्यकर्ताओ में जोश जगाने कि जरूरत है।  अगर कार्यकर्ताओ में जोश जाग गया तो शायद कांग्रेस फिर से मतदाताओ में अपने प्रति विश्वास जगा पाएगी।  





मैंने पिछले कई महीनो में कई बार कांग्रेस के नेताओ को जमीनी सच्चाई बताने वाला लेख लिख चूका हूँ। परन्तु मैंने अभी भी कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओ में कोई हरकत नहीं देखी है।  यदि कांग्रेस को लगता है की ५०० करोड़ रुपये खर्च करके ब्रैंडिंग की जा सकती है।  तो ए उनका भ्रम है।  ब्रैंडिंग कि सफलता का सबसे बड़ा रहस्य आम लोगो द्वारा की जाने मुँहजबानी चर्चा है।  कांग्रेस इस चरचा में मार खा रही है।मुँहजबानी चरचा में लोग उनके खिलाफ सिर्फ नकारात्मक बाते कर रहे है।  जिसे कोई ब्रैंडिंग एजेंसी ५०० करोड़ लेकर नहीं बदल सकती है।  





मैं नहीं हम - इस समय मैं नहीं हम का जजब्बा कांग्रेस के कार्यकर्ताओ में जगाने कि जरुरत है।  कांग्रेस के नेताओ को उनके कार्यकर्ताओ में ये मंत्र फूँकना पड़ेगा कि हम चुनाव जीत सकते है, जो इस वक़्त सिर्फ कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओ कि सोच है।  


Mai Nahi, Ham - Congress



The New poster of Rahul Gandi “Mai Nahi, Ham” is very nice.
Congress party has given us many famous slogans in past.  It’s look like they are the party of slogans.





Garibi Hatao !!


Congress Ka Haath, Aam Aadmi Ke Saath !!


Ho Raha Bharat Nirman !!


Mai Nahi, Ham !!


Now the latest entry “Har Haath Shakti, Har Haath tarkki !!”










The basic problem with congress & it’s slogan that they
failed to do anything in real life of people for whom the slogans was meant. The
slogan was only part of Poll campaign and nothing changed on ground. I don’t
say congress didn’t do anything for people of India but series of scam post
2009 spoiled all that good work of congress.





Mai Nahi, Ham !! will congress win the election with slogan
without doing anything else? So answer is simple no or else all the Advertising
agencies were ruling India & the copyrighter would have been Prime Minister
of India. I don’t think the new slogan of Congress “Mai Nahi, Ham” will help
congress in coming election. I don’t see any spark in congress worker on
ground. It’s time for Congress to make fire in Congress Worker. If Congress
Workers will start working with enthusiasm then Congress fortune can change in
2014.





In past several months I have written lot’s of suggestion to
Congress leaders based on ground reality but I guess none of them are reading
it.  You can’t be a brand spending 500
crore on ad agency. We all know that best mode of branding is satisfied
customer. We can see people have lots of complaints against Congress so no Ad agency
can change their fortune.





Mai Nahi, Ham !! is need of Congress party at this moment.
Congress Top leadership has to make believe the congress workers that they can
win 2014 election.







Tuesday, 21 January 2014

आप आलोचक नहीं है



आलोचना करना और आलोचक बनना दुनिया का सबसे आसान कार्य है।  मैं ऐसे बहुत लोगो को जानता हू जिन्हे अपनी जिंदगी मैं कभी बल्ला पकड़ने का मौका नहीं मिला परन्तु वो हमेशा सचिन कि बल्लेबाजी में खामिया निकालते रहते है।   मैं ऐसे बहुत लोगो को जानता हू जिन्हे अपनी जिंदगी मैं कभी ढंग से कविता कि एक पंक्ति नहीं पढ़ी और वो हिमेश रेशमिया के गाने और गाने के तरीके कि आलोचना करते है।  कुच्छ ऐसे भी लोग है जो ढंग से बोल नहीं पाते और सलमान खान के अभिनय कि आलोचना करते है।  हम सभी बहुत ही बेहतरीन आलोचक है।  हम का मतलब महान भारत देश के सभी नागरिक। हम किसी और कि गलती होने पर सभी नियम कानून का पालन करते हुए आलोचना में लग जाते है।  और अगर हमारी गलती हो तो झट से सिक्के के दूसरे पहलू पर चले जाते है। 






आम आदमी पार्टी का जन्म श्री अण्णा हज़ारे के भ्रष्टाचार आंदोलन से हुआ।  अण्णा के आंदोलन को विश्व हिन्दू परिषद् ने भी समर्थन दिया था। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली का चुनाव जीता और कांग्रेस कि मदत से दिल्ली में सरकार बना ली।  आम आदमी पार्टी अब संपूर्ण भारत में पसरने कि तैय्यारी कर रही है।  आम आदमी पार्टी के फलने फूलने से भारतीय जनता पार्टी के मताधिकार को काफी फर्क पड़ेगा।  आम आदमी पार्टी के सभी सदस्यो ने कांग्रेस और उसके भ्रष्ट नेताओ कि आलोचना करके दिल्ली में जीत हासिल कि है।  दिल्ली चुनाव के पहेले आम आदमी पार्टी ने सभी कि आलोचना कि परन्तु अब वो सरकार में है तो  उनके कार्य प्रणाली और निर्णय कि आलोचना करने का अधिकार सभी भारतीय नागरिक नागरिको को है।






अब आम आदमी पार्टी कि दिल्ली में सरकार बनाने के बाद वो आलोचक का पद खो चुकी है। आम आदमी पार्टी को अब आलोचना करने का कार्य हम भारतीयो पर छोड़ देना चाहिए, जैसा कि मै पहेले भी कहे चूका हु कि हमें आलोचना के कार्य में महारत हासिल है।  मेरे शोध और जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी अभी राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए तैयार नहीं है।  आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार में लिए फैसले इस बात का संज्ञान कराते है कि वो भारत को १९९१ के पहेले के युग में ले जायेंगे।  क्या हम १९९१ के पहेले का भारत चाहते है ? जहाँ हमें एक फ़ोन कनेक्शन का आवेदन करने के बाद ८ साल फ़ोन आने का इंतज़ार करना पड़ेगा।  मै तो १९९१ के पहेले के भारत कि परिकल्पना से डर जाता हु।  हर तरफ सरकारी बाबू लोगो का राज़ है, बिना सरकारी बाबू कि चापलूसी किये बिना कोई काम नहीं होने वाला।  आम आदमी पार्टी का रवैय्या प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ लगता है , परन्तु अर्थव्यवस्था पर नजर डाले तो प्राइवेटाइजेशन ने भारत कि प्रगति में एक बहुत बड़ा योगदान दिया है।  






आम आदमी पार्टी ने हाल ही में रीटेल एफडीई को पुनः वापस ले लिया है।  आम आदमी पार्टी का ये निर्णय मुझे भारत को १९९१ के पहेले के दशक में ले जाने वाला मार्ग दिख रहा है।  हम सभी जानते है कि भारत कि सरकारी आय उसके खर्च से बहुत कम है ऐसे समय में लोग को सब्सिडी देना कुच्छ महीनो के लिए निजाद दिल देगा परन्तु आने वाले समय में हम फिर १९९१ के पहेले के समय में पंहुचा देगा, जंहा हम विश्व बैंक के कर्ज का ब्याज भी नहीं चूका पाएंगे।  हमारे देश का आयत , हमारे निर्यात से हमेशा ज्यादा रहा है और एफडीई से आने वाले पैसे के द्वारा हम अपने विदेशी मुद्रा के भंडार बैलेंस करते है और आयत कि जाने वाली वस्तुवों का दाम चुकाते है ऐसे में एफडीई हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है। 






आम आदमी पार्टी  और आम आदमी पार्टी  के सदस्यो ने आलोचक के रूप में बहुत बढ़िया काम किया है।  परन्तु में ए मैं पहेले भी कहा चूका हु कि हम सभी भारतीय आलोचना के काम में बहुत माहिर है। आम आदमी पार्टी को अब ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार्य प्रणाली बनानी है और उसका निर्वहन करना है।  यदि आम आदमी पार्टी इस कार्य में सफल नहीं हुई तो आलोचक उनके चिथड़े चिथड़े कर हवा में उड़ा देंगे।  हम भारत देश के निवासी आलोचना करके लोगो को निस्ते नाबूत करने में एक नंबर है , हाल में हमने ये कांग्रेस के साथ दिल्ली चुनाव में करके दिखाया है।  आम आदमी पार्टी को अब सचिन, हिमेश  और सलमान बन के दिखाना है और आलोचना का काम हम भारतीयो पर छोड़ देना है।  


झोल हैं



बोफोर्स राजीव का झोल हैं! 





चारा लालू का झोल हैं! 





ताबूत जॉर्ज का झोल हैं! 





2 जी राजा का झोल हैं! 





CWG कलमाड़ी का झोल हैं! 





आदर्श चव्हाण का झोल हैं! 





झोल हैं बस झोल हैं!





झोल में भी इक झोल हैं!


Monday, 20 January 2014

बारिश की फूहार



मदमस्त कर जाती है बारिश की फूहार ! 





नए सपने दिखती है बारिश की फूहार 





नयी उमंग भर जाती  है बारिश की फूहार 





हरियाली दिखलाती है बारिश की फूहार 





भीनी खुस्बू फैलाती है बारिश की फूहार 





मोर से नृत्य कराती है बारिश की फूहार 





सर्द सवेरा लाती है बारिश की फूहार 





मदमस्त कर जाती है बारिश की फूहार 


Sunday, 19 January 2014

महँगाई



रोज़ाना जिए, रोज़ाना मरे इस महँगाई में। 


एक दिन पंकाए, तीन दिन खाए,


चौथे दिन भूखे ही जाए इस महँगाई में। 


रोने से भी आँखों में पानी न आये इस महँगाई में। 


नौकरी कि तलाश में जिंदगी कि बैंड बज जाए इस महँगाई में। 


शराब, शबाब , कबाब एक भाव में आए इस महँगाई में। 


पानी भी सोने के मोल में आए इस महँगाई में। 


रोज़ाना जिए, रोज़ाना मरे इस महँगाई में। 


पैसा है अनमोल



ग़रीब हो तो, पैसा है अनमोल! 





अमिर हो तो, पैसा है अनमोल! 





नेता हो तो, पैसा है अनमोल! 





व्यपारी हो तो, पैसा है अनमोल! 





कपड़े हो तो, पैसा है अनमोल! 





खाना हो तो, पैसा है अनमोल! 





सोना हो तो, पैसा है अनमोल! 





जागना हो तो, पैसा है अनमोल!





हर किसी का है मोल , पैसा है अनमोल! 





रंग बदलती दुनिया में , पैसा है अनमोल!


Thursday, 16 January 2014

Rahul Gandhi & Theory B



Hello Mr.Rahul,





I read in media that you have hired a firm for Re-branding for you & Congress. I wrote a post in Feb 2011. I request you to read that post http://doingkamaal.blogspot.in/2011/02/india-after-egypt.html . Please go to the link & read it. after reading my post you will come to know that there is no need to spend 500 crore for Re-branding. You just have to make a team which should keep reading & observing people's behavior. I wrote this post in Feb 2011, it means you lost opportunity cost of  3 full year. It's time for you to follow theory B. You should add few common man in your team who follows the theory B.





What is theory B ?


You should watch Brad Pit movie Z War. in that movie they have shown that one nation makes a team for analysis of every political, national & international situation, in that team they keep one person (lets say X) to keep thinking opposite of other members of that group. If all the group members are saying it's impossible then person X has to say it's possible & he will work in that way. If all the group members are saying that it's possible then person X has to say no it's impossible & he will work in that way. I am talking about theory B because I am sure people around you always told that Congress will come in power again in 2014 ignoring the way government was garnering negative status in the mind of common men.





If you observe my blog then I have criticized congress in every possible occasion but will do the same for every political party which comes in power & failed to perform in correct manner. I am writing this blog, keeping in my mind that your team will read my email in front of you. I want the people of India should always have option to select to whom they have to vote. So I request you to make the changes accordingly. Please get a person X in your team for opposite feedback from other members of your team.





Thanks,


Monday, 13 January 2014

No to AAP


Being critic is easiest job in world. I know many people who never got chance to play Galli cricket but they suggest that how Sachin should have faced that ball. I know many who can’t recite a line in proper manner but they criticized Himesh Reshmiya and his singing style. I know many who can’t speak a proper line but they criticize the acting skill of Salman Khan. We are very good critics. When I say we, I mean that each & every citizens of my beloved country The India. We know all the rules and regulation when someone else is guilty for something & we criticize them but same “We” changes his mind when they themselves are in fault.

Aam Aadmi Party took birth from Anna’s movement supported by RSS &VHP (VHP is core pillar of BJP). AAP won delhi election formed government from support of Congress. Now AAP is enlarging them on National level and at large they are sharing vote bank of BJP. Every member of Aam Aadmi Party criticized the Congress for their alleged involvement in corruption charges during the Scam Decade in history of India. They criticized congress & bjp on all possible events. Pre Delhi election they were the critics as I told earlier that’s easiest job in world & we all the citizens of my beloved country The India are ready to do this job of criticizing being on other side of job.

Now AAP is no more critic, as they are in Government. It’s turn of our beloved country The India’s citizenz to criticize the decision and action of AAP. My initial research suggests me that AAP is right now not ready for National level politics. There are some of the decision in Delhi government suggest that they will bring back the Pre 1991 India to us. Do we need pre 1991 India? We have to apply for phone line & we’ll get the connection in 10 years. Do we need that? AAP is behaving like a political party, which is against the idea of Privatization. Every economist theory & economics will say that growth of country will be more when Private sectors got ample opportunity to work & expand so we can’t bring back Babu Raaj to demoralize the private sector and the growth of India.

The famous columnist, Tavleen Singh wrote in Indian express, “So let’s talk about AAP’s economic vision. It is usually best expressed by Prashant Bhushan, who unfailingly makes it clear that he despises the private sector for ‘looting’ resources that in his view belong to the people of India. He forgets that this is exactly what Jawaharlal Nehru and Indira Gandhi believed, so they banned the private sector from most areas of enterprise and poured people’s money into the public sector. It was when public sector companies failed to make profits (except for corrupt officials) that the private sector was allowed in, but only in a small way. No matter what the losses of ‘Coalgate’ and 2G, they are minuscule compared with the losses caused by coal that burns in underground fields and the natural gas that is wasted daily because public sector companies do not have the technology to exploit it.

The another famous Author Chetan Bhagat wrote on his Times of India blog, ”In a bid to come across as a hero to voters, AAP announced free water, and a bizarre subsidy-based cut in electricity tariffs in Delhi. Some estimates say this could cost thousands of crores a year. This money could have been used for hospitals, schools, flyovers, employment generation and a dozen other purposes. The poll promise was to reduce the alleged corruption in the electricity sector, and pass on the efficiency gains to the people. The cheeky accounting and subsidy-based reduction was irresponsible. If the AAP tariff decision is extended pan-India , the cost could be lakhs of crores a year. Such moves can not only wreck the country’s finances, they will send the wrong signal to private players who will shun investing in India’s electricity sector. It helped AAP win some instant applause, but did it help India?”

The recent announcement of AAP for withdrawal of FDI in retail from Delhi is another pull towards the road for Pre 1991 India. We all know that Government expenditures are always more than government Revenue, we always got Revenue deficit budget. Our Current Account Deficit is always in minus because we import more than our export. India as country is able to balance, Foreign exchange due to FDI. Isn’t FDI made our stock market higher than we can think? They inflated the prices of Real state but at same time they also helped in development of India & to increase the GDP of India. We need FDI so we can develop our India. AAP can have some additional regulation to regulate it but abolishing it completely is not a right decision at all.

Aam Aadmi Party & it’s member as critics are did great job. We all the citizens of beloved country of The India are good in this job. AAP has to learn for performance & implementation of work or the critics will ripped it apart because we the citizens of beloved country of The India are good in criticizing and ripping the things not satisfying to us. the very same thing they did with congress in Delhi election. It's time to be Sachin, Salman, Himesh and we will take care of other side.

मन मुस्करता


जब सावन घिर के आता है, मन मुस्करता है !
जब ठंडी हवा मचलती है, मन मुस्करता है !





जब समंदर गोते खाता है, मन मुस्करता है !
जब पंक्षी डालो पर चहकते है, मन मुस्करता है !




जब कोई प्यार का राग बजाता है, मन मुस्करता है !
जब जीवन मधुर हो जाता है, मन मुस्करता है !




जब गीत मल्हार गाता है, मन मुस्करता है !
जब सावन घिर के आता है, मन मुस्करता है !


Thursday, 9 January 2014

Ashutosh, Politics & Media


On 8th January 2014 Mr.Rahul Kanwal Editor-At-Large Aajtak & Headlines Today Wrote on his twitter timeline that in next 24-48 hours there will be an announcement for a big TV Editor joining Aam Aadmi Party. My response to Rahul was that I guess it’s Ashutosh from IBN7. Didn’t you get surprise from my prompt reply with Ashutosh’s Name? Do you know why I guessed Ashutosh’s name? So my answer is very simple. Please go to Ashutosh’s twitter time line and you can read many tweet praising Aam Aadmi Party and its movement. We can’t ignore that the soft corner must have been shown in his reporting also.

I am little afraid now, if a big name like Ashutosh from media world will join Aam Aadmi party then don’t you think that all media channels will show soft coroner towards Ashutosh. Paid media is one of the best used words in twitter world & I guess people on twitter will attack media more after Ashutosh’s decision. I am afraid people won’t trust the reporting on Aam Aadmi party by media. Media world itself is divided in two parts from Ashutosh’s decision. We know media is 4th pillar of Democracy and recently they fired all possible shot on Tarun Tejpal for sexual harassment charges so we can trust that media won’t show any biasness.

We all know that Indian politics is dirtiest place than Toilet of Dharavi but entry of people like Ashutosh will make it better career prospect for many young & Middle class Indian. Ashutosh has selected his path so now he has to face criticism from various people across country on any wrong decision or Incident by or during tenure of Aam Aadmi Party. I wish that Ashutosh will achieve great success in future. India is democratic country and here every one has rights to fight election. In mean time Aam Aadmi Party came into existence from support of Aam Aadmi and now they are appointing big name into their party so let’s there won’t be any disconnect from Aam Aadmi.

मुझे उसकी याद आती हैं



चांद की चांदनी को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं! 





पंक्षी के जोड़ो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं! 





कल-कल नदी की तरंगो से मुझे उसकी याद आती हैं! 





सूरज की किरणो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं! 





प्यार के पल टटोल कर मुझे उसकी याद आती हैं!  





शक्कर सी मीठी बोली बोलकर मुझे उसकी याद आती हैं!  





तन्हाई के पलो में मुझे उसकी याद आती हैं!  





पत्ते पर ओस को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं! 





गुलाब पे मंडराते भवरो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं! 


आशुतोष, राजनीती और मीडिया



कल शाम आज तक के पत्रकार राहुल कँवल ने ट्विटर पर लिखा कि अगले २४ - ४८ घंटो में एक बहुत बड़ा पत्रकार आम आदमी पार्टी से जुड़ने वाला है।  राहुल का ट्वीट पढते ही मैंने उन्हें लिखा "मेरे ख्याल से वो नाम आशुतोष है " क्या ये विचार करने वाली बात नहीं है ? मेरे मन में आशुतोष का नाम कैसे आया ? तो मेरा जवाब बहुत ही सीधा है।  मैं ट्विटर पर सभी राजनेता और पत्रकारो को फॉलो करता हु।  आशुतोष के टाइम लाइन पर जाने पर आपको उनका आम आदमी पार्टी कि तरफ उमड़ता उदारपन दिख जायेगा। इस बात कि संभावना को टाला नहीं जा सकता कि उनके इस फैसले से पहेले उनके पत्रकारिता व्यवहार में भी आप के प्रति लचीला पन आया होगा।









परन्तु आशुतोष जैसे बड़े पद के पत्रकार का राजनीती में दाखिला मेरे मन में एक सवाल खड़ा कर देता है। क्या सभी समाचार चैंनल आशुतोष के प्रति एक उदारता नहीं दिखाएंगे ? पेड मीडिया ट्विटर जगत का एक बहुत ही प्यारा टर्म है, खुद आम आदमी पार्टी ने अपने ऊपर होने वाली आलोचना को काफी बार पेड मीडिया का षड़यंत्र कहेकर टाल दिया, तो क्या आशुतोष के इस कदम से मीडिया के ऊपर आशंका वाली नजरे फिर से पैनी नहीं हो जाएँगी। मीडिया जगत खुद आशुतोष के फैसले से दो भाग में बंट गया है।  सही और गलत कि दुरी बहुत कम है। सुना समाचार जगत हमेशा सच के साथ है। हाल ही में तरुण तेजपाल के मामले में मीडिया ने कोई कोताही न करते हुए पुरे दिल से उनके खिलाफ रिपोर्टिंग की।  





राजनीती गन्दी है और उसमे आसुतोष जैसे लोगो के उतरने से लोगो का विश्वास राजनीती में बढ़ेगा परन्तु राजीनति में जायेंगे तो आलोचनाओ का सामना तो करना ही पड़ेगा। और कभी सवालो के पीछे बैठने वाले आशुतोष को अब जवाबो के लिए तैयार होना पड़ेगा। आशा करते है कि भविष्य में आशुतोष और बड़ी सफलताओ को हासिल करे और भारत को बुल्लंदियो पर ले जाए।  भारत एक आजाद मुल्क है और इस आजाद मुल्क में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।  परन्तु आम जनता से बनी आम आदमी पार्टी में अब सिर्फ खास लोगो कि भर्ती हो रही है। आशा करता हु कि इससे आम आदमी पार्टी का आम लोगो के प्रति रव्वैया नहीं बदलेगा। 


Wednesday, 8 January 2014

देश बन गया ढोल है बाबू !


देश बन गया ढोल है बाबू !

खुल गयी सबकी पोल है बाबू !!



नेता जी मोबाइल लाइन चुराते है !

महारथी मोबाइल नेटवर्क बेच खाते है !!



पेट्रोल, प्याज, बियर अब एक भाव में आते है !

महंगाई रोकेंगे नेताजी  सिर्फ चिल्लाते है !!



सत्ता में है तो घोटाले पर घोटाले करवाते है !

विपक्ष में बैठ कर घोटालो को गलत बताते है !!



मनोमहन ने न बोलने कि कसम खाई है !

दिग्विजय के चुप रहने में कांग्रेस कि भलाई है !!



देश बन गया ढोल है बाबू !

खुल गयी सबकी पोल है बाबू !!





Tuesday, 7 January 2014

Bigg Boss – Indian Politics

Colors reality show Bigg Boss scored more TRP than all it's previous versions. I too followed many of the episode of Bigg Boss in this season. It's so difficult for participants to keep the fake mask on in such environment. Though I am sure that there are many, who got the success to keep their mask on.



We need that our few minister should be added to Bigg Boss house then we’ll able to know about what they think about our country. Sanjay Nirupam & Sindhu went to Bigg Boss house but Sanjay Nirupam came out in 1st week only & people treated Siddhu as comedian & cricketer than Politician.



Most of our Political leaders are like Bigg Boss house contestants. They always hide their original face from people. They live the life of two characters in same time. There is one thing common between Bigg Boss house and India in present, that both the places people want to see the real face of contestants.



We saw lot's or attack & counter attack in Bigg Boss house and we enjoyed that but The fight to keep India alive is painful. We are still below in life standard measurement of human life. There are many people sleep hungry in night. There are people who don't have place to live but our Politicians are fighting to gain power.



We are Bigg boss of Indian Politics. We vote and send person to parliament but we don’t have power to sack them before 5 years so we have to calculate all the risks carefully before casting our vote. We have to follow rules & regulation to keep the idea of India alive. We have to go & vote to make sure that right contestant should win.







Sunday, 5 January 2014

The Curious Case of Aston Martin at Peddar Road



The Media which is always ready to break story on private
life of every public figure seems no more interested in The Curious Case of
Aston Martin at Peddar Road. You can read the details of accident on Forbes magazine
website. The car involved in case is family car of the Mukesh Dhirubhai Ambani.
The case got captured in some news paper but it didn’t become social campaign
despite having a name of India’s Biggest Business tycoon in case.





Social Media took some effort to put the case on but most of
the Social Activists didn’t come forward to retweet and comments of Twitter
world. I only saw tweet from Dr. Swami Ji & Mahesh Murthy on said subjects
and most of other twitter personality selected to be silent on this issue. I
was expecting a topings from Amul on this case but that too didn’t happen.




If you will read the details in article of Forbes then you
will come to know that how even the powerful people can play with law if they control
Business, Politics & New Channels. Sardesai Rajdeep who is a very respected
man in Journalism chose to be silent on this issue as he can not brake news
against his own master. Let’s see what The Curious Case of Aston Martin at
Peddar Road will get from court of law.






Friday, 3 January 2014

Milind to Play Fusion with Kejriwal



In his oath ceremony Arvind Kejriwal sang a song. after that Mlind Deora tweeted saying.



Milind Deora is very good Guitar player & if I am not wrong he has played Guitar many time in Mumbai cafes so I replied to Milind's tweet saying.




Milind again replied back saying.




So let's wait for the right time, when we'll get chance to see Political fusion between Arvind Kejriwal and Milind Deora.

Congress Men against Congress



Case 1


I suddenly noticed jump in number of Congress Men opposing Congress party & It’s decision. It’s all started with Shree Rahul Gandhi. We all know that Mr.Gandhi openly ripped of Ordinance passed by Congress in context of criminal politician. Day before Mr.Rahul Gandhi’s action various leader of Congress on various News Channels were supporting & giving explanation for need of ordinance.






Case 2


In Delhi Mr.Rahul Gandhi was supporting Jan Lokpal & in Mumbai congress rejected the report of Adarsh scam. Milind Deora came in rescue of Rahul Gandhi & said 


Case 3




AAP declared that Delhiwalla has to pay less electricity as they have cut the prices to 50%. After that Sanjay Nirupam demanded same from Maharashtra Government. If I am not wrong then Sanjay Nirupam is in Congress & Congress is running the government in Maharashtra. I failed to understand why Sanjay Nirupam raised his voice against his own party. He behaved like opposition than member of Government party.






Do you know why suddenly Congress Men raising voice against Congress?




I guess they also know that taking side of Congress is not going to help anyone so better come clean & stand alone.


Thursday, 2 January 2014

Socha Barish Ke Naam Kuchh Likh Du



Socha Barish Ke Naam Kuchh Likh Du,


Use Ek Paigam Likh Du !





Kyo Tu Baras Ke Tham Jati Hai,


Na Thame To Kaher Dhati Hai !





Tujhase Moh Mujhe Bahut Gahera Hai,


Tere Tham – Tham Ke Barsane Se Chamkta Chehra Hai !





Tune Kai Jeevano Ko Mahkaya,


Par Teri Aafat Ne Kai Jeevano Ko Jalaya !





Tu Na Barase To Mai Tadpta Hu,


Tere Barsane Par Bhi Mai Tadpta Hu !





Socha Barish Ke Naam Kuchh Likh Du,


Use Ek Paigam Likh Du !







मधुर हैं



कोयल की कूक मधुर हैं! 


पपीहे की पीप  मधुर हैं! 






आम की मिठास मधुर हैं! 


आम की खटास मधुर हैं! 






झरने का राग मधुर हैं! 


बहने  का अंदाज मधुर हैं! 






माँ का प्यार मधुर हैं! 


माँ का दुलार मधुर हैं! 






बारिश की फुहार मधुर हैं! 


बारिश की झनकार मधुर हैं! 






मौसम का साज मधुर हैं! 


मौसम का आगाज़ मधुर हैं! 






गरमी में छाँव मधुर हैं! 


ठंडी में धूप मधुर हैं! 






दुःख में सुख का स्वाद मधुर हैं! 


हार में जीत का अंदाज मधुर हैं!






Wednesday, 1 January 2014

आँखों मे आंसू आ जाते है !


हम जब खुश होते है , आँखों मे आंसू आ जाते है !

हम जब दुःख मे होते है , आँखों मे आंसू आ जाते है !

हम जिन्दगी मे जब तनहा होते है , आँखों मे आंसू आ जाते है !

भीड़ मे चलते चलते , आँखों मे आंसू आ जाते है !

जब एक नया जीवन मिलता है , आँखों मे आंसू आ जाते है !

जब जीवन का अंत होता है , आँखों मे आंसू आ जाते है !

जीत की ख़ुशी से , आँखों मे आंसू आ जाते है !

हर के गम से , आँखों मे आंसू आ जाते है !

सुख की घडी मे , आँखों मे आंसू आ जाते है !

दुःख के काँटों की चुभन से , आँखों मे आंसू आ जाते है !

बस ऐ सब कहेते कहेते , आँखों मे आंसू आ जाते है !

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