रोज़ाना जिए, रोज़ाना मरे इस महँगाई में।
एक दिन पंकाए, तीन दिन खाए,
चौथे दिन भूखे ही जाए इस महँगाई में।
रोने से भी आँखों में पानी न आये इस महँगाई में।
नौकरी कि तलाश में जिंदगी कि बैंड बज जाए इस महँगाई में।
शराब, शबाब , कबाब एक भाव में आए इस महँगाई में।
पानी भी सोने के मोल में आए इस महँगाई में।
रोज़ाना जिए, रोज़ाना मरे इस महँगाई में।
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