चांद की चांदनी को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं!
पंक्षी के जोड़ो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं!
कल-कल नदी की तरंगो से मुझे उसकी याद आती हैं!
सूरज की किरणो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं!
प्यार के पल टटोल कर मुझे उसकी याद आती हैं!
शक्कर सी मीठी बोली बोलकर मुझे उसकी याद आती हैं!
तन्हाई के पलो में मुझे उसकी याद आती हैं!
पत्ते पर ओस को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं!
गुलाब पे मंडराते भवरो को देख कर मुझे उसकी याद आती हैं!
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