घोटालो को देखकर दिया आम आदमी रोए ,
सोना चांदी लुट गया , कोयला भी अब चोरी होए !
घोटालो की जैसे बाढ़ है आयी,
किसी ने 10 तो किसी ने 100 लाख करोड़ की लुटिया डुबोई !
अंधेर नगरी अनबुझ राजा,
टके शेर भाजी टके शेर खाजा !
गरीब का तो हाल बेहाल है,
नेताजी को सिर्फ बच्चो और बैंक बैलेंस का खयाल है !
काम नहीं करने को तो चोरी करवाते है
देश का पैसा बंदरो की तरह आपस में बाँट कर खाते है !
घोटालो को देखकर दिया आम आदमी रोए ,
सोना चांदी लुट गया , कोयला भी अब चोरी होए !
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